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सिलीगुड़ी की महाश्वेता के पास नेताजी की अनोखी धरोहर

सिलीगुड़ी की महाश्वेता के पास नेताजी की अनोखी धरोहर महाश्वेता की मौसी ने रंगून में खींची थी सुभाष बाबू की तसवीर सुभाष बाबू के ऑटोग्राफ वाली तसवीर रखी हैं संभाल के इस धरोहर को बेच मिला धन समाज सेवा में लगाना चाहती हैं सिलीगुड़ी : करीब अस्सी वर्ष पुरानी सुभाष चंद्र बोस की स्मृति के […]

सिलीगुड़ी की महाश्वेता के पास नेताजी की अनोखी धरोहर
महाश्वेता की मौसी ने रंगून में खींची थी सुभाष बाबू की तसवीर
सुभाष बाबू के ऑटोग्राफ वाली तसवीर रखी हैं संभाल के
इस धरोहर को बेच मिला धन समाज सेवा में लगाना चाहती हैं
सिलीगुड़ी : करीब अस्सी वर्ष पुरानी सुभाष चंद्र बोस की स्मृति के जरिए जनमानस का कल्याण करने की एक विचारधारा अब भी महेश्वता महालनोबिस के मन है. उनकी मौसी स्वतंत्रता सेनानी अनीता बोस ने वर्ष 1938 में म्यांमार के रंगून में उनकी एक तस्वीर ली थी और उनसे हस्ताक्षर भी कराया था. उस ऐतिहासिक फोटो को महेश्वता ने अबतक संभाल कर रखा है. अपनी मौसी की सलाह पर अब उस स्मृति को बेचकर गरीबों के कल्याण में खर्च करना चाहती हैं.
अब सवाल यह उठता है कि क्या पश्चिम बंगाल सरकार इस धरोहर को सहेज कर रखने के लिए कुछ नहीं कर सकती. महेश्वता की मौसी अनीता बोस एक स्वतंत्रता सेनानी थी. वह स्वतंत्रता संग्राम के महानायक सुभाष चंद्र बोस के साथ आजादी की लड़ाइ में शामिल हुयीं थी. उसी दौर में वर्ष 1938 में अनीता बोस रंगून में सुभाष चंद्र बोस के साथ थीं. 19 सितंबर 1938 की सुबह नेताजी कैंप के पार्क में बैठे हुए थे.
उस समय अनीता बोस ने उनसे अनुमति लेकर उनकी एक तसवीर ली और उसपर नेताजी का ओटोग्राफ भी लिया. महेश्वता अपनी मौसी के काफी करीब थी. अनीता बोस की मौत वर्ष 1993 में हुई. उससे एक वर्ष पहले वह महेश्वता से मिलने सिलीगुड़ी पहुंची थीं. उसी समय उन्होंने महेश्वता को वह तस्वीर दी थी. इस धरोहर को सौंप कर अनीता बोस ने महेश्वता से कहा था कि इससे देश की सेवा ही होनी चाहिए. महेश्वता आज उसी सलाह पर चलना चाहती हैं.
अब उन्होंने इस धरोहर को नीलाम करने का निर्णय लिया है. उनका कहना है कि नीलामी से मिलने वाली रकम से सिलीगुड़ी व राज्य के गरीब लोगों की मदद करेंगी. नेताजी की इस तस्वीर और उनके हाथों से लिखा हुआ उनका नाम और 78 वर्ष का हो चला है. आज नेताजी हमारे बीच हैं या नहीं कहना मुश्किल है. वे कहीं खो गये हैं. ठीक उसी तरह उनके कलम की स्याही भी धीरे-धीरे खोने को तैयार है, जिससे उन्होंने अपना नाम लिखकर अनिता बोस को सौंपा था. उनकी यह तस्वीर भी काफी पुरानी हो चुकी है.
हालांकि तस्वीर में उनका चेहरा साफ दिख रहा है. उनके द्वारा लिखे नाम व तारीख भी दिख रही है. सुभाष चंद्र बोस देश के ऐसे सपूत थे, जिसका बखान शब्दों में करना काफी कठिन है. उसी प्रकार से यह धरोहर भी अनमोल है.महेश्वता महान वैज्ञानिक जगदीश चंद्र बसु के परिवार से ताल्लुक रखती हैं. वही जगदीश चंद्र बसु जिन्होंने पौधे में जान होने की बात को प्रमाणित किया था. महेश्वता जगदीश चंद्र बसु के चचेरे भाई क्षितिज चंद्र बसु की बेटी की पोती हैं. इनके पिता का नाम स्वर्गीय नृपेन्द्र नाथ महालनोबिस था. एक भाई का नाम स्वर्गीय नीलांजन महालनोबिस है. महेश्वता ने बताया कि जो सम्मान देश के इस सपूत को मिलना चाहिए था, वह सम्मान बंगाल ने उन्हें नहीं दिया. बल्कि पंजाब आज भी सुभाष चंद्र बोस को देश के वीर के रूप में पूजता है.
उन्होंने कहा कि यदि इस धरोहर की सही कीमत उन्हें बंगाल में नहीं मिली, तो इसे बेचने के लिए पंजाब जायेंगी. आज भी जब महेश्वता इस तस्वीर को देखती हैं तो उन्हें वह कहानियां याद आती हैं, जो उनकी मौसी, पिता आदि ने बचपन में सुनायी थीं. इतना कह कर वे भावुक हो गयी. कोलकाता, जलपाईगुड़ी में करोड़ो की संपत्ति छोड़कर वे सिलीगुड़ी के मल्लागुड़ी इलाके में काठ के मकान में रहती हैं. उनसे मिली जानकारी के अनुसार इस मकान का भी अपना ही महत्व है.
उनकी हाइ स्कूल तक की शिक्षा सिलीगुड़ी में अपने मां के विद्यालय में हुई. उन्होंने बताया कि प्रधान नगर स्थित सिस्टर निवेदिता (एस.एन) विद्यालय की शुरुआत उनकी मां ममता महालनोबिस ने ही की थी. उनकी मां ने क्वीन नामक सिलीगुड़ी का पहला इंगलिश विद्यालय का शुरू किया था. बाद में यह विद्यालय राम कृष्ण मिशन को सौंप दिया गया. वर्ष 1973 में इन्होंने कोलकाता से स्नातक पास किया. इन्होंने शादी नहीं की. अब उनकी उम्र 63 साल की हो चली है. इसलिए इस धरोहर को बेचकर गरीबों के कल्याण कार्य में लगाना चाहती हैं.
इस धरोहर को नीलाम करने की जानकारी मिलते ही दार्जिलिंग जिला तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व समाजसेवी मदन भट्टाचार्य गुरुवार की सुबह महेश्वता से मिलने पहुंचे. उन्होंने सुभाष चंद्र की उस तस्वीर और हस्ताक्षर को देखा.
उन्होंने महाश्वेता से घंटों बात की. उन्होंने राज्य सरकार की ओर से हर संभव सहायता करने का भरोसा दिलाया है. उन्होंने कहा कि अनिता बोस द्वारा ली गयी सुभाष चंद्र की यह तस्वीर अनमोल है. यह बंगाल की संपत्ति है. इस संबंध में वे राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से संपर्क करेंगे.

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