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डिजिटल हुआ सिलीगुड़ी में प्रसार भारती का प्रसारण

200 किलोवाट डीआरएम ट्रांसमीटर का आगाज सिलीगुड़ी : डिजिटल हो गया सिलीगुड़ी के ऑल इंडिया रेडियो प्रसारण. बुधवार शाम से आधिकारिक तौर पर डिजीटल प्रसारण शुरू हो गया है. उक्त जानकारी ऑल इंडिया रेडियो के पूर्वांचल के निदेशक(इंजीनियरिंग) अब्दुल रहमान शेख ने दी. सिलीगुड़ी प्रसार भारती केंद्र से दो सौ किलोमीटर क्षेत्र में बसे लोग […]

200 किलोवाट डीआरएम ट्रांसमीटर का आगाज
सिलीगुड़ी : डिजिटल हो गया सिलीगुड़ी के ऑल इंडिया रेडियो प्रसारण. बुधवार शाम से आधिकारिक तौर पर डिजीटल प्रसारण शुरू हो गया है. उक्त जानकारी ऑल इंडिया रेडियो के पूर्वांचल के निदेशक(इंजीनियरिंग) अब्दुल रहमान शेख ने दी. सिलीगुड़ी प्रसार भारती केंद्र से दो सौ किलोमीटर क्षेत्र में बसे लोग इस डीआरएम ट्रांसमीटर का लुफ्त उठा पायेंगे.
बुधवार की शाम सिलीगुड़ी प्रसार भारती में दो सौ किलोवाट डीआरएम ट्रांसमीटर के उद्घाटन कार्यक्रम में पत्रकारों को संबोधित करते हुए पूर्वांचल के निदेशक अब्दुल रहमान शेख ने बताया कि आज डीआरएम ट्रांसमीटर का उद्घाटन आधिकारिक रूप से कर दिया गया.
हांलाकि बीते जनवरी महीने से डीआरएम ट्रांसमीटर का ट्रायल शुरू किया गया था. ट्रायल सफल होने के बाद आज आधिकारिक रूप से प्रसार भारती ने भी डिजीटल रेडियो की शुरूआत कर दी है. उन्होंने बताया कि वर्तमान में पूर्ण रूप से डिजीटल रेडियो नहीं चलाया जायेगा. बल्कि डिजीटल और एनालॉग को मिलाकर चलाया जायेगा, ताकि श्रोताओं को परेशानी ना हो.
डीआरएम का कार्यक्रम मुख्य रूप में बांग्ला में प्रसारित होगा. इसके अतिरिक्त नेपाली कार्यक्रमो को भी स्थानदिया गया है. बीच-बीच में हिंदी फिल्म की बातें हिंदी में प्रसारित होगी. रेनबो इंडिया प्रसारण के माध्यम से हिंदी कार्यक्रमों का प्रसारण किया जायेगा. इसके अतिरिक्त मोबाइल के प्ले स्टोर से रेडियो एप डाउनलोड कर प्रसार भारती के 13 चैनल का आनंद देश के किसी भी कोने से उठाया जा सकता है. सिलीगुड़ी प्रसार भारती में डीआरएम ट्रांसमीटर की शुरूआत से यहां के कुल छह रेडियो चैनल का लुफ्त उठाया जा सकता है.
उल्लेखनीय है कि 7 जुलाइ 1963 से सिलीगुड़ी प्रसार भारती का आगाज हुआ. इतने दिनों तक एनालॉग माध्यम से प्रसारण हो रहा था. बदलते समय के अनुसार खुद को बदलने और केंद्र की भाजपा सरकार के डिजीटल इंडिया परियोजना की सहायता से ऑल इंडिया रेडियों भी अब डिजीटल हो गया.
सिलीगुड़ी को लेकर पूरे देश में कुल पांच रेडियों सेंटर में डीआरएम ट्रांसमीटर द्वारा कार्यक्रमों का प्रसारण किया जा रहा है. इन पांच में कोलकाता के दो, पटना, रांची और सिलीगुड़ी प्रसार भारती केंद्र शामिल है. गौरतलब है कि डीआरएम ब्रॉडकास्टिंग का डिजीटल मोड है. जबकि 4जी के इस दौर में रेडियो के कम ही श्रोता बचे है.
जो हैं उनमें से भी अधिकांश के पास एनालॉग रेडियो है. डीआरएम ट्रांसमीटर के कार्यक्रम को सुनने के लिये डीजीटल रेडियो की आवश्यकता है. समस्या यह है कि मौजूदा समय में डिडीटल रेडियो आसानी से बाजार में उपलब्ध नहीं है. डिजीटल रेडियो ऑनलाइन बाजार में उपलब्ध है.
सबसे बड़ी बात कि इसकी कीमत भी काफी ज्यादा है. फलस्वरूप श्रोता हाथोंहाथ महंगा डिजीटल रेडियो नहीं खरीदेंगे. एकाएक श्रोताओं को खोने के भय से सिलीगुड़ी प्रसार भारती पूर्ण रूप से डीआरएम प्रसारण शुरू नहीं कर रहा है. श्रोताओं की सुविधा के लिये प्रसार भारती ने डिजीटल रेडियो की कीमत कम कराने की भी कोशिश की थी लेकिन उत्पादन कंपनियो का कहना है कि बाजार में रेडियो कीमांग नहीं है. डिजीटल रेडियो की बिक्री बढ़ाने के लिये एनालॉग प्रसारण को पूरी तरह से बंद कर डीआरएम ट्रांसमीटर को शुरू करना होगा.
श्रोताओं को खोने के भय से प्रसार भारती द्वारा एक साथ एनालॉग और डीआरएम प्रसारण जारी है. आज के इस कार्यक्रम में निदेशक एस.एम तनवीर आलम सिलीगुड़ी प्रसार भारती की निदेशक अनिमा दास देवनाथ, अतिरिक्त निदेशक देवाशीष मुखर्जी, सिलीगुड़ी प्रसार भारती के इंस्टॉलिग अधिकारी कृष्ण किशोर घोष व अन्य गणमान्य मंच पर उपस्थित थे.

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