विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पिछले एक वर्ष से इस मामले के लटके होने के कारण मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पंचायत मंत्री सुब्रत मुखर्जी के नेतृत्व में एक कमेटी बनाने का निर्णय लिया है. सूत्रों ने बताया है कि इस कमेटी में श्री मुखर्जी के अतिरिक्त उत्तर बंगाल विकास मंत्री गौतम देव भी शामिल होंगे. इसके अलावा श्रम मंत्री मलय घटक तो इसमें रहेंगे ही. राज्य सरकार के इस नये कदम के बाद मजदूरी समस्या के समाधान को लेकर होने वाली त्रिपक्षीय बैठक एक बार फिर से टलने की संभावना है. इससे पहले फरवरी के पहले सप्ताह में मिनी सचिवालय उत्तरकन्या में त्रिपक्षीय बैठक आयोजित करने की योजना थी.
लेकिन अब इस बैठक के नहीं होने की संभावना है. सूत्रों ने बताया है कि राज्य सरकार मंत्रियों की कमेटी बनाने के बाद ही त्रिपक्षीय बैठक के लिए कोई तिथि निर्धारित करेगी. सूत्रों ने बताया कि मंत्रियों की इस कमेटी में कुल चार मंत्री शामिल किये जाएंगे. श्रम मंत्री पुण्रेन्दु बसु को भी इस कमेटी में शामिल करने की योजना सरकार की है. इस बीच, चाय बागानों में कार्यरत 24 ट्रेड यूनियन संगठनों के संयुक्त फोरम ने त्रिपक्षीय बैठक टलने को अफसोसजनक बताया है. संयुक्त फोरम के नेता अमूल्य कुमार दे ने बताया है कि राज्य सरकार इस समस्या के समाधान के प्रति गंभीर नहीं है. इसी वजह से इस मुद्दे को लटकाया जा रहा है. दूसरी तरफ संयुक्त फोरम के नेताओं के राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी को ज्ञापन देने की योजना फेल हो गयी है. चाय श्रमिकों की समस्याओं के समाधान तथा वेतन और मजदूरी बढ़ाने की मांग को लेकर संयुक्त फोरम के नेता राज्यपाल को ज्ञापन देने वाले थे.
राज्यपाल के समय नहीं देने के कारण यह लोग ज्ञापन नहीं दे सके. श्रमिक फोरम के नेताओं ने एक बार फिर से राज्यपाल से समय देने की मांग की है. दूसरी तरफ इस समस्या के अब तक समाधान नहीं हो पाने के कारण श्रमिकों में हताशा बढ़ रही है. विभिन्न चाय बागान के श्रमिकों में भारी असंतोष व्याप्त है.
श्रमिकों को लग रहा था कि मार्च से पहले इस समस्या का समाधान हो जायेगा. लेकिन जैसे-जैसे समय बीतते जा रहा है, श्रमिकों की निराशा बढ़ती जा रही है. यहां उल्लेखनीय है कि चाय श्रमिकों के वेतन तथा मजदूरी समझौता खत्म होने की मियाद के करीब एक साल होने को आये हैं. पिछले वर्ष 31 मार्च को यह समझौता खत्म हो गया है. तब से लेकर अब तक करीब 11 महीने के बाद भी नया वेतन समझौता नहीं हो सका है. इस मुद्दे को लेकर चाय बागान श्रमिकों, राज्य सरकार तथा चाय बागान मालिकों के बीच सात दौर की त्रिपक्षीय बैठक हो चुकी है. यह सभी बैठक फेल हो गये हैं. उत्तर बंगाल के विभिन्न चाय बागानों में काम कर रहे श्रमिकों की दैनिक मजदूरी 90 रुपये प्रतिदिन है. पर्वतीय क्षेत्र के चाय श्रमिक 95 रुपये प्रतिदिन पाते हैं. चाय श्रमिक न्यूनतम मजदूरी 225 रुपये प्रतिदिन करने की मांग कर रहे हैं. दूसरी तरफ चाय बागान मालिक मजदूरों की इस मांग को मानने के लिए तैयार नहीं हैं और तीन साल में 30 रुपये बढ़ाना चाहते हैं. दूसरी तरफ राज्य सरकार ने तीन वर्षो में 40 रुपये बढ़ाने का प्रस्ताव दिया है, जिस पर चाय बागान मालिकों ने तीन वर्षो में 37 रुपये बढ़ाने पर अपनी सहमति दी है.