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सत्यभामा आड़िल को अमरावती सृजन पुरस्कार

सिलीगुड़ी : छत्तीसगढ़ की प्रख्यात लेखिका तथा साहित्यकार डॉ सत्यभामा आड़िल को वर्ष 2014 के अमरावती सृजन पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. बर्दमान रोड स्थित ऋषि भवन में आयोजित एक विशेष समारोह के बीच डॉ आड़िल को यह पुरस्कार सिलीगुड़ी के विधायक डॉ रूद्रनाथ भट्टाचार्य ने प्रदान किया. इस अवसर पर नक्सल नेता अभिजीत […]

सिलीगुड़ी : छत्तीसगढ़ की प्रख्यात लेखिका तथा साहित्यकार डॉ सत्यभामा आड़िल को वर्ष 2014 के अमरावती सृजन पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. बर्दमान रोड स्थित ऋषि भवन में आयोजित एक विशेष समारोह के बीच डॉ आड़िल को यह पुरस्कार सिलीगुड़ी के विधायक डॉ रूद्रनाथ भट्टाचार्य ने प्रदान किया.
इस अवसर पर नक्सल नेता अभिजीत मजूमदार, बिहार विधानसभा के पूर्व विधायक रामाश्रय सिंह, पत्रकार केके चौधरी, साहित्यकार सीके श्रेष्ठ, रंजना श्रीवास्तव, प्रभाकर मिश्र, रामकुमार गोयल, ओमप्रकाश पांडे, तारावती अग्रवाल, सिलीगुड़ी कॉलेज के प्रोफेसर अजय साव, समाजसेवी गणोश त्रिपाठी, के प्रसाद सहित अनेको गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे. कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रख्यात लेखक भिखी प्रसाद वीरेन्द्र ने की. इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में डॉ राधेश्याम बंधु तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में छत्तीसगढ़ के कृषि वैज्ञानिक मनहर लाल आड़िल तथा सैलेन्द्र चौधरी भी उपस्थित थे. कार्यक्रम का आयोजन साहित्य पत्रिका आपका तिस्ता हिमालय द्वारा किया गया था. इस मौके पर अभिव्यक्ति की आजादी विषय पर एक परिचर्चा का भी आयोजन किया गया.
विभिन्न वक्ताओं ने इस विषय पर अपने वक्तव्य पेश किये. समारोह को संबोधित करते हुए डॉ राजेन्द्र प्रसाद सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर के हिन्दी के किसी एक वरिष्ठ रचनाकार को प्रति वर्ष अमरावती सृजन पुरस्कार देने की घोषणा आपका तिस्ता-हिमालय द्वारा गठित विद्वत परिषद ने पिछले साल 2014 के प्रारंभ में ही कर दी थी. इस पुरस्कार सभा व सांस्कृतिक प्रस्तुतियों में शामिल होने के लिए स्थानीय तथा बाहर से आये अपने सम्माननीय अतिथियों, सृजनकर्मियों, नगर के साहित्यिक मनस्क प्रबुद्ध जनों तथा विद्यार्थियों के प्रति आभार प्रकट करता हूं. आपका तिस्ता हिमालय की ओर से विभिन्न विषयों को लेकर हमने अब तक कई कार्यक्रम किये हैं लेकिन हिन्दी के किसी वरिष्ठ रचनाकार को पुरस्कार देने अथवा सम्मानित करने को ले हम पहली दफा यहां एकत्र हुए हैं. चूंकि आज की तारीख हमारी स्मृतियों से जुड़ी हुई है और वह स्थान हमारे जनजगत में बस गया, बेशक हमारे शहर और समाज के लिए भी गौरव की बात है.
जाहिर है इस अर्थ में यह एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम है. डॉ सिंह ने आगे कहा कि सत्यभामा आड़िल के बहुआयामी सृजनकर्म के सामने हमारा यह पुरस्कार बहुत छोटा है, उन्हें सम्मानित कर हम खुद भी गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं. हमारे लिए एक और प्रसन्नता की बात यह है कि हमने ईबा अमरावती की स्मृति में यह अवार्ड देने की घोषणा की है और यह एक सुखद संयोग ही है कि विद्वत परिषद ने छत्तीसगढ़ की सुपरिचित हिन्दी लेखिका बहन सत्यभामा को इसके लिए उपयुक्त समझा और उन्हें चुना. यहां एक बात हम अवश्य कहना चाहेंगे, वह यह कि संभव है, हमारा यह प्रथम प्रयास हमारी महत आकांक्षाओं के अनुरूप न हो लेकिन हमने आप सब के सहयोग से जो लघु शुरूआत की है उसका विकास क्रम तथा समाज-जीवन में प्रतिफलन नयी पीढ़ी जरूर देखेगी.
हम जीवन के तीसरे प्रहर में साहित्य-संस्कृति का यह जो विरवा रोप रहे हैं, मुङो पूरा विश्वास है, भावी पीढ़ी अपने प्राणों की ऊर्जा से अवश्य ही उसकी रक्षा करेगी. दरअसल इस शहर और समाज का हम पर जो ऋण है, उसे चुकाये बगैर हम यहां से कैसे जा सकते हैं. भला यह कैसे हो सकता है कि हम समाज से सिर्फ लें और उसे कुछ न दें? इस कंक्रीट के जंगल में हम जीवन की फसल उगाना चाहते हैं, इसलिए साहित्य संस्कृति के पौध रोप रहे. बसंत को बुला रहे. प्रेम का गीत गा रहे और जो इनके शत्रु हैं उनसे कोई समझौता किये बगैर जंग का ऐलान भी कर रहे हैं.
डॉ सिंह ने कहा कि एक समाज सजग पत्रकार का फर्ज है कि देश-दुनिया में जो कुछ भी घट रहा, उसमें बिना नमक-मिर्च मिलाये, जनमानस के समक्ष उसे परोसे. हमारा समाज जैसा है उसका सही और सार्थक चित्र खींचना ही एक सच्चे पत्रकार का उद्देश्य होना चाहिए. आप जब दर्पण के समक्ष खड़े होते हैं तब क्या दर्पण आपसे कोई सवाल करता है? नहीं, आपके चेहरे का संपूर्ण सौन्दर्य उभर कर सामने आ जाता है और चेहरे के गड्ढ़े भी. आप जैसा हैं, भावुक हुए बगैर दर्पण उसे दिखा जाता है.

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