सिलीगुड़ी: केन्द्र सरकार द्वारा खतरनाक कामतापुर लिबरेशन आर्गनाइजेशन (केएलओ) को केन्द्र सरकार द्वारा आतंकवादी संगठन घोषित किये जाने और प्रतिबंध लगा दिये जाने के बाद आत्मसमर्पण कर चुके पूर्व केएलओ उग्रवादियों का मानना है कि प्रतिबंध लगा देने भर से इस समस्या का समाधान नहीं होगा.
राज्य में तृणमूल कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मुख्यधारा में लौटने के लिए कई आत्मसमर्पण कर चुके केएलओ उग्रवादियों को जेल से रिहा कर दिया था. उसके बाद से लेकर अब तक यह सभी आम जीवन जी रहे हैं. इनमें सबसे उल्लेखनीय मिल्टन बर्मा का नाम है. मिल्टन बर्मा कभी केएलओ के खतरनाक आतंकियों में शुमार था और वह डुवार्स इलाके में केएलओ का स्वयंभू कमांडर भी था.
लेकिन आज न केवल मिल्टन बर्मा, बल्कि पुलस्ता बर्मन, हर्षवर्धन बर्मा आदि खतरनाक केएलओ आतंकी समाज के मुख्यधारा में शामिल हो गये हैं. हालांकि यह लोग ममता बनर्जी सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगा रहे हैं और इनका कहना है कि जीवन यापन के लिए सरकार ने जो वादे पूरे किये थे, वह अब तक पूरे नहीं हुए हैं. हालांकि यह सभी अपनी मांगों को लेकर बीच-बीच में आंदोलन भी करते हैं, लेकिन यह सभी अब अपनी पुरानी दुनिया में नहीं जाना चाहते. यह लोग अपनी मांगों को लेकर सरकार के साथ राजनैतिक लडाई पर जोर दे रहे हैं.
यही कारण है कि इन लोगों के साथ-साथ कई और पूर्व केएलओ आतंकी तथा लिंकमैन राजनीतिक संगठन कामतापुर पीपुल्स पार्टी (केपीपी) के सदस्य बन गये हैं. इन लोगों के साथ नजदीकी रखने वाले एक केपीपी नेता ने बताय है कि मिल्टन बर्मा का मानना है कि आतंकी संगठन घोषित करने या फिर प्रतिबंध लगा देने भर से समस्या का समाधान नहीं होगा. मिल्टन बर्मा एवं अन्य ने केन्द्र सरकार से बातचीत की पहल करने की अपील की है. मिल्टन बर्मा के हवाले से उक्त नेता ने आगे बताया कि केन्द्र सरकार को केएलओ चीफ जीवन सिंह के साथ बातचीत की पहल करनी चाहिए. इसके लिए इस तरह का माहौल बनाया जाये कि जीवन सिंह आत्मसमर्पण के लिए तैयार हो और केन्द्र सरकार उनकी मांगों को गंभीरतापूर्वक विचार करे. मिल्टन बर्मा सहित कई पूर्व केएलओ उग्रवादी इस संबंध में केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह को एक पत्र भी लिखने वाले हैं. इस बीच, केन्द्र सरकार द्वारा केएलओ को आतंकवादी संगठन घोषित करने एवं प्रतिबंधित किये जाने के बाद इसके चीफ जीवन सिंह की तलाश तेज हो गयी है. खुफिया सूत्रों ने बताया है कि पश्चिम बंगाल पुलिस तथा असम पुलिस एक संयुक्त टीम बनाकर जीवन सिंह की तलाश कर रही है. जीवन सिंह दोनों ही राज्यों की पुलिस के लिए मोस्ट वांटेड अपराधी हैं. बीच में ऐसी खबर आयी थी कि जीवन सिंह को बंगलादेश में गिरफ्तार किया गया है. हालांकि सरकारी स्तर पर इसको लेकर कोई पुष्टि नहीं की गई है. खुफिया सूत्रों के अनुसार केन्द्रीय विदेश मंत्रलय ने इस मामले में बंगलादेश के विदेश मंत्रलय के साथ संपर्क किया है. दूसरी तरफ बीएसएफ सूत्रों का कहना है कि जीवन सिंह या फिर किसी अन्य केएलओ उग्रवादियों के बंगलादेश में छिपे होने की संभावना कम है. सूत्रों ने बताया कि बंगलादेश में जमात-ए-इस्लामी, आइएम जैसे उग्रवादी संगठनों के सक्रिय होने की खबर तो उनके पास है, लेकिन केएलओ उग्रवादी के सक्रियता की कोई सूचना उनके पास नहीं है. इसके अलावा जब से केएलओ की उत्पत्ति हुई है, तब से लेकर अब तक किसी भी केएलओ उग्रवादी की गिरफ्तारी भारत-बंगलादेश सीमा पर नहीं हुई है. बीएसएफ सूत्रों ने बताया कि इस संगठन से जुड़े उग्रवादी और लिंकमैन आम तौर पर नेपाल तथा भूटान से अपने ऑपरेशन को अंजाम देते हैं. इस बीच, भारत-नेपाल तथा भारत-भूटान सीमा पर एसएसबी की चौकसी जारी है.