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चाय बागान श्रमिकों की मांगें मानना संभव नहीं

तीन साल में 30 रुपये बढ़ाने पर राजी, टीपा बोले सिलीगुड़ी : चाय श्रमिकों की मजदूरी को लेकर भले ही विभिन्न ट्रेड यूनियन संगठनों के संयुक्त मंच ने हड़ताल की घोषणा की है, लेकिन इस समस्या के समाधान की फिलहाल कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं. चाय बागान मालिकों के संगठन तराई इंडियन प्लांटर्स […]

तीन साल में 30 रुपये बढ़ाने पर राजी, टीपा बोले

सिलीगुड़ी : चाय श्रमिकों की मजदूरी को लेकर भले ही विभिन्न ट्रेड यूनियन संगठनों के संयुक्त मंच ने हड़ताल की घोषणा की है, लेकिन इस समस्या के समाधान की फिलहाल कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं. चाय बागान मालिकों के संगठन तराई इंडियन प्लांटर्स एसोसिएशन (टीपा) ने चाय श्रमिकों की मजदूरी बढ़ाने से साफ इनकार कर दिया है. टीपा की ओर से एक विशेष बातचीत के दौरान राजा दास ने बताया है कि चाय श्रमिकों की मांगें मानना संभव नहीं है.

उन्होंने विभिन्न मजदूर संगठनों को लेकर गठित संयुक्त मंच के नेताओं की भी आलोचना की और कहा कि उन लोगों की अड़ियल रवैये के कारण ही वेतन तथा मजदूरी वृद्धि जैसी समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है. मजदूरों की मजदूरी कितनी बढ़ानी है, इसको लेकर संयुक्त मंच के नेताओं में ही एकमत नहीं है. किसी संगठन के नेता प्रतिदिन 206 रुपये तो कोई प्रतिदिन 322 रुपये मजदूरी देने की मांग कर रहे हैं. श्री दास ने कहा कि चाय बागानों की स्थिति बेहद खराब है.

ऐसे में मजदूरी में इतनी वृद्धि संभव नहीं है. वह लोग मजदूरों को तीन वर्ष में 30 रुपये बढ़ाने को राजी हैं. इससे अधिक वेतन या मजदूरी वह श्रमिकों को नहीं दे सकते. श्री दास ने चाय उद्योग की स्थिति दयनीय होने का दावा करते हुए कहा कि चाय बागानों की उत्पादन लागत काफी बढ़ गयी है, जबकि मुनाफे में भारी कमी हुई है. बागान मालिकों को चाय बागान चलाना मुश्किल हो रहा है. इस साल ऐसे भी खराब मौसम के कारण चाय के उत्पादन में भारी गिरावट आयी है. उन्होंने इस वर्ष चाय के उत्पादन में 25 से 30 प्रतिशत के गिरावट होने का भी दावा किया.

उन्होंने कहा कि सिर्फ उत्पादन ही कम नहीं हुआ है, बल्कि चाय के दाम भी कम हो गये हैं. पिछले साल के मुकाबले इस साल प्रतिकिलो चाय की कीमत में भी 25 से 30 रुपये की गिरावट आयी है. उन्होंने चाय श्रमिक यूनियन के नेताओं की आलोचना करते हुए कहा कि राज्य सरकार के हस्तक्षेप के बाद भी उन लोगों की अनाप-शनाप मांगों के कारण ही मजदूरी समझौता नहीं हो सका है.

राज्य सरकार तथा मजदूर संगठनों के साथ अब तब छह दौर की वार्ता हो चुकी है. उन्होंने कहा कि वह लोग श्रमिकों की मजदूरी और नहीं बढ़ा सकते और ऐसे में चाय बागान को कैसे चलाना है, इसका फैसला राज्य सरकार को करना है. उन्होंने कहा कि इस समस्या के समाधान के लिए सरकार की ओर से अगर कोई बैठक होती है, तो बागान मालिक उसमें शामिल होंगे. यहां उल्लेखनीय है कि मजदूरी वृद्धि की मांग को लेकर चाय श्रमिक संगठन के संयुक्त फोरम ने 12 नंवबर को उत्तर बंगाल में हड़ताल का आह्वान किया है. इसके साथ ही 11 नवंबर से 48 घंटे तक चाय उद्योग में भी हड़ताल का पालन किया जायेगा. इस संबंध में नक्सली नेता अभिजीत मजूमदार का कहना है कि चाय बागान के मालिक श्रमिकों का शोषण कर रहे हैं. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि बागान मालिक मजदूरों को न्यूनतम वेतन देने को तैयार नहीं हैं. इस समस्या के समाधान की कई बार कोशिश की गयी, लेकिन चाय बागान मालिकों के असहयोगात्मक रवैये के कारण स्थिति जस की तस बनी हुई है.

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