सिलीगुड़ी: सिलीगुड़ी नगर निगम में 4जी स्पेक्ट्रम केबल बिछाने के मामले को लेकर भले ही कांग्रेसी मेयर गंगोत्री दत्ता ने इस्तीफा देकर बोर्ड भंग कर दी हो, लेकिन कांग्रेस की परेशानी दूर होने वाली नहीं है.
विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कांग्रेस के कई पार्षद इस बात से डर रहे हैं कि दोबारा चुनाव जीत सकेंगे या नहीं. इसी कारण वर्तमान कांग्रेसी पार्षदों में हड़बड़ी मची हुई है और सभी भागमभाग की तैयारी में हैं. सूत्रों ने आगे बताया कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार सुजय घटक की जो स्थिति हुई है उससे कांग्रेसी काउंसिलर घबराये हुए हैं.
सिलीगुड़ी नगर निगम में कुल वार्डो की संख्या 47 है. इसमें से 33 वार्ड दाजिर्लिंग संसदीय क्षेत्र के अधीन पड़ता है. इन 33 वार्डो में ही कांग्रेस की दुर्गति हुई है. करीब-करीब सभी स्थानों पर कांग्रेस को बोर्ड के मामले में तीसरे या फिर चौथे नंबर पर रहना पड़ा है. मेयर गंगोत्री दत्ता तथा डिप्टी मेयर सबिता अग्रवाल से लेकर तमाम मेयर पार्षद तथा काउंसिलर अपने-अपने वार्डो में सुजय घटक को बहुत नहीं दिला सके. इसके अलावा पूरे देश में भी कांग्रेस की दुर्गति हुई. नरेन्द्र मोदी की लहर में पूरे देश के साथ-साथ दाजिर्लिंग संसदीय क्षेत्र के भी कांग्रेस उम्मीदवा सुजय घटक उड़ गये. भाजपा का प्रदर्शन पूरे देश में अच्छा रहा.
सिलीगुड़ी नगर निगम क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं है. यहां दाजिर्लिंग संसदीय क्षेत्र में पड़ने वाली 33 वार्डो में भाजपा उम्मीदवार एस.एस. अहलुवालिया को अच्छे मत मिले हैं. इन्हीं सबों को देखते हुए कांग्रेस काउंसिलरों की घिग्गी बंधी हुई है. सूत्रों ने बताया कि आने वाले नगर निगम चुनाव में निश्चित हार को मानते हुए कांग्रेस के कई काउंसिलर दूसरी पार्टियों में जाने के जुगाड़ में है. सूत्रों ने आगे बताया कि कांग्रेस के कई काउंसिलर तृणमूल नेताओं के साथ संपर्क में हैं और उनसे तृणमूर्ल में शामिल होने की इच्छा प्रकट की है. समझा जाता है कि इसको लेकर कुछ काउंसिलरों की तृणमूल नेताओं के साथ गुप्त बैठकें भी हुई है. हालांकि तृणमूल के नेता इस बात से इंकार कर रहे हैं. लेकिन सूत्रों के अनुसार बैठकों का दौर जारी है और आने वाले दिनों में यहां के लोगों को कुछ आश्चर्यजनक दल-बदल देखने को मिल सकता है.