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भवन निर्माण में देरी से एक कमरे में पढ़ने को विवश बच्चे
2015 से शुरू निर्माण कार्य अभी तक पूरा नहीं मिड डे मील में भी अनियमितता की शिकायत शिक्षकों के बदले ग्रामीण युवा कराते हैं पढ़ायी कालिम्पोंग : सरकारी स्कूल के भवन का निर्माण कार्य पूरा नहीं होने से कालिम्पोंग प्रखंड के यंगमाकुम ग्राम पंचायत अंतर्गत कम्बल में बच्चे छोटे से कमरे में पढ़ने को मजबूर […]
2015 से शुरू निर्माण कार्य अभी तक पूरा नहीं
मिड डे मील में भी अनियमितता की शिकायत
शिक्षकों के बदले ग्रामीण युवा कराते हैं पढ़ायी
कालिम्पोंग : सरकारी स्कूल के भवन का निर्माण कार्य पूरा नहीं होने से कालिम्पोंग प्रखंड के यंगमाकुम ग्राम पंचायत अंतर्गत कम्बल में बच्चे छोटे से कमरे में पढ़ने को मजबूर हैं. यहां के कुबेर सिंह स्कूल के एक छोटे से कमरे में 18 बच्चे पढ़ रहे हैं. जानकारी के अनुसार इस स्कूल का निर्माण 2015 में शुरू किया गया था, परंतु अभी तक कार्य संपन्न नहीं होने के कारण बच्चे एक छोटे से कमरे में पढ़ने को मजबूर हैं.
विदित हो कि इस स्कूल में निर्धन व बीपीएल परिवार के बच्चे शिक्षा ग्रहण करते हैं. कालिम्पोंग शहर से करीब 60 किलोमीटर दूर यह स्कूल विकास से काफी दूर है. क्षेत्र के अन्य स्कूलों के भवनों का निर्माण कार्य विभाग या एनएचपीसी ने कर दिया है, परंतु कुबेर सिंह स्कूल का निर्माणाधीन भवन ठेकेदार की देरी के कारण अभी तक पूरा नहीं हो पाया है. यंगमाकुम के ग्रामीण इलाके के इस स्कूल के बच्चों से मिड-डे-मील के बारे में अनियमिताओं के बारे में पता चला.
बच्चों ने नियमित रूप से मिड-डे-मिल नहीं मिलने बातें कही. इसके साथ ही सरकार की तरफ से मिलने वाले यूनिफार्म ग्रांट, कितबें भी स्कूल में नहीं पहुंच रहा है. स्कूल के शिक्षक शांति बराल भी लगातार स्कूल नहीं आती हैं एवं एक शिक्षक भीम योगी हैं जो डिलीट की ट्रेनिंग में गये हैं.
इन शिक्षकों के बदले एक उच्च माध्यमिक पास युवक व युवती बच्चों को पढ़ाते देखे गये. स्कूल की प्रभारी शांता बराल ने कहा कि स्कूल की मैनेजिंग समिति के एक सदस्य ने भवन निर्माण का कार्य शुरू किया, परंतु अभी तक कार्य पूरा नहीं हो पाया है.
प्रभारी ने मिड-डे-मिल लगातार मिलने की बातें कही. स्कूल की अनियमितता के बारे में बारे में जब सुपरवाइजर देवराज सुब्बा ने बताया कि 2016 से स्कूल संचालन समिति ने भवन निर्माण की जिम्मेवारी मिकुमार लेप्चा को दिया था, लेकिन अभी तक कार्य पूरा नहीं हो पाया है.
सुब्बा ने बताया कि मिड-डे-मिल ठीक समय पर स्कूल में नहीं पहुंचा है. वहीं इस बारे में सर्व शिक्षा अभियान के इडी ज्योतिर्मय जांती ने बताया कि एसएसके की प्रशासनिक समिति को 9 लाख रूपया आवंटित किया गया था. किताब के लिए अकादमिक सुपरवाइजर को देखने के लिए कहा गया है. उन्होंने कहा कि अनियमितता की जांच कराकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जायेगी.
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