सिलीगुड़ी: उत्तर बंगाल के छह जिलों में आठ लोकसभा सीटों पर शांतिपूर्ण मतदान के बाद अब सबकी निगाहें 16 मई की मतगणना पर टिकी हुई है. पूरे उत्तर बंगाल में उम्मीदवारों की जीत-हार को लेकर तरह तरह के कयास लगाये जा रहे हैं.
मतगणना की सभी तैयारियां भी पूरी कर ली गई है. प्रशासनिक सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार हर मतगणना केन्द्र पर त्रिस्तरीय सुरक्षा व्यवस्था की गई है. मतगणना के बाद शहर में किसी प्रकार की अशांति न हो, इसके लिए तमाम तरह के विजय जुलूसों पर भी रोक लगा दी गई है.
त्रिस्तरीय सुरक्षा व्यवस्था के तहत मतगणना केन्द्र के बाहर सुरक्षा की जिम्मेदारी राज्य पुलिस और आम्र्ड पुलिस की होगी. जबकि भीतरी सुरक्षा का कमान केन्द्रीय अर्धसैनिक बलों के जवान संभालेंगे. हर मतगणना केन्द्र पर तैयारियों का जायजा जिले के मुख्य चुनाव अधिकारी तथा पुलिस अधीक्षक ले रहे हैं. सभी स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे भी लगाए जा रहे हैं.उत्तर बंगाल के छह जिलों में कूचबिहार, अलीपुरद्वार, जलपाईगुड़ी, दाजिर्लिंग, मालदा उत्तर, मालदा दक्षिण, रायगंज तथा बालुरघाट को लेकर लोकसभा की कुल आठ सीटें हैं. इन सभी संसदीय क्षेत्रों में विभिन्न दलों तथा निर्दलीय रूप से चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों का पहुंचना शुरू हो गया है. मतगणना को लेकर जहां चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों की दिल की धड़कनें बढ़ गई हैं, वही आम लोग भी तरह-तरह की चर्चा में मशगूल हैं.
उम्मीदवारों के जीत-हार के दावे किये जा रहे हैं. राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार वर्ष 2011 में राज्य में हुए सत्ता परिवर्तन के बाद पहली बार लोकसभा का चुनाव हो रहा है. यह चुनाव एक तरह से सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के लिए अग्नि परीक्षा भी है. इन चुनाव परिणामों से ही मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की लोकप्रियता और उनके काम के प्रभाव का अंदाजा लगाया जा सकता है.
दूसरी तरफ 2011 के विधानसभा चुनावों में करारी हार के बाद वाममोरचा की शक्ति में कुछ बढ़ोत्तरी हुई या फिर वह और भी नीचे गये, इसका पता भी चल सकेगा. राजनीतिक विश्लेषकों ने बताया है कि उत्तर बंगाल के सभी आठ लोकसभा केन्द्रों में बहुकोणीय मुकाबले की स्थिति है. हांलाकि मुख्य मुकाबला तृणमूल कांग्रेस, वाममोरचा, कांग्रेस तथा भाजपा के बीच है. उत्तर बंगाल में मोदी लहर का कितना असर हुआ, इसका भी पता 16 मई को चल जाएगा. दाजिर्लिंग संसदीय क्षेत्र के चुनाव परिणाम को लेकर भी लोगों में काफी उत्सुकता है. यहां से भाजपा के टिकट पर हेवीवेट उम्मीदवार एस.एस. अहलुवालिया चुनाव लड़ रहे हैं. एस.एस. अहलुवालिया का समर्थन दाजिर्लिंग पर्वतीय क्षेत्र में प्रमुख राजनीतिक शक्ति गोजमुमो ने किया है. यह सीट ममता बनर्जी के लिए भी प्रतिष्ठा की सीट है. तृणमूल की टिकट पर वाइचुंग भुटिया यहां से चुनाव लड़ रहे हैं. यहां मुख्य मुकाबला भी इन दोनों के बीच ही है. अब 16 मई को यह देखना है कि यहां मोदी लहर का असर हुआ या फिर ममता बनर्जी अपनी प्रतिष्ठा बचाने में कामयाब रहीं. मालदा उत्तर तथा मालदा दक्षिण लोकसभा सीटों के चुनाव परिणामों पर भी लोगों की विशेष नजर है. इस बार यहां चुनाव परिणाम के बाद यह पता चलेगा कि गनी खान के नाम का जादू कायम है या फिर ममता बनर्जी यहां सेंध लगाने में कामयाब होती हैं.बालुरघाट लोकसभा सीट भी खास है. मतदान से ठीक कुछ दिनों पहले सारधा चिटफंड कांड में नाम आने से तृणमूल कांग्रेस उम्मीदवार अर्पिता घोष पर इसका क्या असर हुआ, इसका भी पता 16 मई की मतगणना के बाद चलेगा. उत्तर बंगाल के इन आठ सीटों के महत्व का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यहां चुनाव प्रचार करने के लिए तमाम हेवीवेट नेता आये. इनमें नरेन्द्र मोदी, ममता बनर्जी तथा राहुल गांधी का नाम भी शामिल है.
सभी कर रहे हैं जीत के दावे
ऐसे यहां जीत के दावे सभी लोग कर रहे हैं. जलपाईगुड़ी संसदीय क्षेत्र में जीत का दावा वाममोरचा के जिला कन्वेनर कृष्ण बनर्जी ने किया है. दूसरी तरफ तृणमूल कांग्रेस के जिला अध्यक्ष चन्दन भौमिक का कहना है कि जीत उनके उम्मीदवार की ही होगी. कूचबिहार संसदीय क्षेत्र में भी कुछ इसी तरह के दावों का दौर जारी है. तृणमूल कांग्रेस के जिला अध्यक्ष तथा विधायक रविन्द्रनाथ घोष का कहना है कि कूचबिहार के लोगों ने तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार के पक्ष में मतदान किया है और यहां जीत उनके उम्मीदवार की ही होगी. उन्होंने कहा कि 16 मई को तो बस इसकी घोषणा होनी है. वाममोरचा के उम्मीदवार दीपक राय भी यहां से अपनी जीत का दावा कर रहे हैं. इस संबंध में कांग्रेस उम्मीदवार केशव राय से पूछने पर उन्होंने कहा कि बस 16 तारीख का इंतजार कीजिए. चुनाव परिणाम का पता चल जायेगा.
आने लगे उम्मीदवार
इस बीच विभिन्न संसदीय क्षेत्रों में उम्मीदवारों का आना शुरू हो गया है. रायगंज में कांग्रेस उम्मीदवार दीपा दासमुंशी आज आ गई हैं. वह नई दिल्ली में थीं. रायगंज संसदीय क्षेत्र से वाममोरचा उम्मीदवार मोहम्मद सलीम भी कल बृहस्पति वार को रायगंज आ रहे हैं. जबकि तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार सत्यरंजन दासमुंशी रायगंज में ही हैं. भाजपा उम्मीदवार के भी कल तक यहां पहुंच जाने की संभावना है. रायगंज संसदीय क्षेत्र का इस बार के चुनाव में उत्तर बंगाल में खास स्थान है, क्योंकि यहां मुख्य लड़ाई एक परिवार के बीच है. कांग्रेस के टिकट पर दीपा दासमुंशी मैदान में हैं, तो तृणमूल कांग्रेस की टिकट पर सत्यरंजन दासमुंशी लड़ रहे हैं. दीपा दासमुंशी पूर्व केन्द्रीय मंत्री प्रियरंजन दासमुंशी की पत्नी हैं, जबकि सत्यरंजन दासमुंशी प्रियरंजन दासमुंशी के भाई हैं. लोग इसे यहां देवर-भाभी के बीच मुकाबले की संज्ञा दे रहे हैं.