सिलीगुड़ी: जलपाईगुड़ी जिलान्तर्गत भक्तिनगर थाना इन दिनों मुकदमो की बोझ तले दब सा गया है.सीमित संशाधनो के बीच हर दिन ही दर्ज हो रहे मुकदमों की भरमार से यहां के पुलिस अधिकारी भी हकलान हैं.पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार भक्तिनगर थाने का संचालन सिलीगुड़ी पुलिस कमिश्नरेट के तहत होता है. सिलगुड़ी पुलिस कमिश्नरेट में क्षेत्रफल की दृष्टिकोण से इस थाने का सबसे बड़ा स्थान है. करीब 300 वर्ग किलोमीटर में इस थाने का क्षेत्रफल फैला हुआ है. इस क्षेत्रफल में करीब साढ़े चार लाख की आबादी है. जाहिर है आबादी अधिक होने के कारण मुकदमें भी अधिक दर्ज होते हैं.
साल में औसतन 2500 से अधिक मामले इस थाने में दर्ज किए जाते हैं.सूत्रों ने आगे बताया कि इतने मुकदमे सिलीगुड़ी पुलिस कमिश्नरेट के तहत पड़ने वाले अन्य चार थानों में दर्ज नहीं होते. यहां उल्लेखनीय है कि सिलीगुड़ी पुलिस कमिश्नरेट के तहत कुल 5 थाने पड़ते हैं. सिलीगुड़ी, प्रधान नगर, भक्तिनगर, माटीगाड़ा तथा बागडोगरा. पुलिस सूत्रों ने आगे बताया कि भक्तिनगर थाने को छोड़ कर अन्य थानों में लोगों की आबादी करीब 1 से सवा लाख है.
जबकि भक्तिनगर थाने को साढ़े तीन लाख लोगों की आबादी का बोझ उठाना पड़ता है. ऐसी स्थिति में एक थाने के दम पर इतने बड़े क्षेत्र में अपराध को काबू में कर पाना भी एक बड़ी चुनौती है.इसी कारण से इस थाने को दो भागों में बांटने का प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा जायेगा. वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों द्वारा इस दिशा में आवश्यक कार्यवाही की जा रही है. पुलिस सूत्रों ने आगे बताया कि राज्य सरकार से हरी झंडी मिलते ही नए थाने के लिए जगह खोजने का काम भी शुरू हो जायेगा. पुलिस सूत्रो ने आगे बताया कि सिलीगुड़ी पुलिस कमिश्नरेट के कई वरिष्ठ अधिकारी इस दिशा में प्रयास कर रहे हैं.लोकसभा चुनाव परिणाम सामने आने के बाद इस दिशा में बड़ी तेजी से प्रयास किया जयेगा. राज्य पुलिस महा निदेशक को भी औपचारिक रू प से भक्तिनगर थाने की इस परेशानी की जानकारी दे दी गयी है.चुनाव परिणाम के सिलीगुड़ी पुलिस कमिश्नरेट द्वारा अधिकारिक प्रस्ताव राज्य सरकार के पास भेज दिया जायेगा.
गौरतलब है कि राज्य सरकार ने पहले से ही सिलीगुड़ी पुलिस कमिश्नरेट में कई नए थाने बनाने का निर्णय लिया है.इसमें माटीगढ़ा थाने को दो भागों में बांटने का भी प्रस्ताव भी है. इसके अलावा एनजेपी आउट पोस्ट और आमबाड़ी आउट पोस्ट को एक पूर्ण थाने का दर्जा देने का प्रस्ताव भी शामिल है. फिलहाल ये दोनों आउट पोस्ट भक्तिनगर थाने के तहत आते हैं. अगर इन दोनों आउट पोस्टों को पूर्ण थाने का दर्जा मिल जाता तो भी भक्तिनगर थाने की परेशानी थोड़ी कम हो जातीे, लेकिन इस निर्णय को लिए करीब दो वर्ष का समय होने चला है,इस दिशा में कोई कार्यवाही नहीं हुयी है.