ममता सरकार के बिजली संयंत्र का विरोध करने वाली नेता शर्मिष्ठा चौधरी नहीं रही

Sharmishtha Choudhury is Dead: पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की सरकार के भांगड़ में प्रस्तावित बिजली संयंत्र का विरोध करने वाली लेफ्ट की नेता शर्मिष्ठा चौधरी नहीं रहीं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 14, 2021 2:55 PM

कोलकाताः पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की सरकार के भांगड़ में प्रस्तावित बिजली संयंत्र का विरोध करने वाली लेफ्ट की नेता शर्मिष्ठा चौधरी नहीं रहीं. भाकपा (माले) रेड स्टार की प्रमुख नेता की कोरोना संक्रमण की वजह से रविवार को मृत्यु हो गयी. वर्ष 2017-18 में पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिला में स्थित भांगड़ में भूमि अधिग्रहण के खिलाफ चले आंदोलन का वह प्रमुख चेहरा थीं.

शर्मिष्ठा चौधरी का रविवार को यहां कोरोना संक्रमण के बाद उपजी जटिलताओं के कारण निधन हो गया. 47 साल की शर्मिष्ठा के पति अलिक चक्रवर्ती ने आंदोलन में अहम भूमिका निभायी थी. पार्टी के वरिष्ठ नेता ने बताया कि वह भाकपा (माले) रेड स्टार की केंद्रीय समिति की सदस्य थीं और करीब एक महीने पहले कोरोना वायरस से संक्रमित होने के बाद ठीक हो गयीं थीं.

हालांकि, दोबारा बीमार होने पर शनिवार को उन्हें कोलकाता के एसएसकेएम अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उन्होंने बताया कि शर्मिष्ठा चौधरी का रविवार को कोविड-19 उपरांत जटिलताओं और आंत में घाव होने की वजह से निधन हो गया. भाकपा (माले) लिबरेशन के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य सहित कई अन्य लोगों ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है.

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कोलकाता के मशहूर प्रेसीडेंसी विश्वविद्यालय से पढ़ाई करने वाली शर्मिष्ठा चौधरी ने आंदोलनों में शामिल होने से पहले कई सालों तक बतौर पत्रकार कार्य किया था. भांगड़ में करीब एक दर्जन गांवों के लोगों ने उनके नेतृत्व में तृणमूल सरकार के बिजली संयंत्र और उसके लिए किये जा रहे भूमि अधिग्रहण का डटकर विरोध किया था.

जोमी जीविका बास्तुतंत्र ओ पोरीबेस रोक्खा कमिटी (जमीन जीविकोपार्जन पर्यावरण और पारिस्थितिकी की रक्षा के लिए समिति) के बैनर तले तृणमूल सरकार के इलाके में बिजली संयंत्र लगाने का विरोध किया गया था. ग्रामीणों का आरोप था कि परियोजना से स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचेगा और इलाके की पारिस्थितिकी खराब होगी.

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ममता सरकार ने यूएपीए लगाकर जेल भेजा

देश के क्रांतिकारी आंदोलन की अगुवा नेता शर्मिष्ठा ने बंगाल में वर्ष 2017-18 में भांगड़ में आंदोलन को खड़ा करने में अहम भूमिका निभायी थी. किसानों के उस आंदोलन ने जोर पकड़ा, तो ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस सरकार ने उन पर यूएपीए लगाकर उन्हें कैद कर दिया. बाद में संघर्ष तेज हुआ और उन्हें रिहा किया गया.


क्रांतिकारी महिला आंदोलन की अगुवा

शर्मिष्ठा को क्रांतिकारी महिला आंदोलन की अगुवा के तौर पर भी जाना जाता रहा है. कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़े लोगों का मानना है कि शर्मिष्ठा ने “Marxism and the Women’s Question” (मार्क्सवाद और महिलाओं का सवाल) पर जो पेपर लिखा है, वह क्रांतिकारी आंदोलन के लिए महत्वपूर्ण दस्तावेज है. शर्मिष्ठा ने हाल में हुए बंगाल के चुनावों में “No Vote to BJP” अभियान को सफल बनाने में भी अहम भूमिका निभायी थी.

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Posted By: Mithilesh Jha

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