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क्या सचमुच बदल रहा है महानगर का मौसम?
आनंद कुमार सिंह कोलकाता : चिलचिलाती धूप. घर में भी राहत नहीं. पंखे के नीचे बैठने पर भी बेचैनी का अनुभव. बाहर निकलना, तो एक डरावने सपने जैसा लगने लगता है. आखिरकार क्या कारण है कि गरमी का ऐसा भयावह अनुभव हो रहा है. ऐसा कई लोगों को कहते सुना जा सकता है कि महानगर […]
आनंद कुमार सिंह
कोलकाता : चिलचिलाती धूप. घर में भी राहत नहीं. पंखे के नीचे बैठने पर भी बेचैनी का अनुभव. बाहर निकलना, तो एक डरावने सपने जैसा लगने लगता है. आखिरकार क्या कारण है कि गरमी का ऐसा भयावह अनुभव हो रहा है. ऐसा कई लोगों को कहते सुना जा सकता है कि महानगर का मौसम परिवर्तित हो रहा है, लेकिन क्या सच में ऐसा है? क्या सचमुच महानगर में मौसम बदल रहा है. यदि हम पिछले 100 वर्षों के आंकड़ों पर नजर डालें, तो हालात में अधिक परिवर्तन नहीं दिखाई देता है.
क्यों महसूस हो रही है असहजता
यदि तापमान में कोई अस्वाभाविक परिवर्तन नहीं हुआ है, तो आखिर धूप में निकलने में लोगों को इतनी असहजता क्यों महसूस हो रही है. विशिष्ट पर्यावरणविद डॉ सुबीर बोस इसका उत्तर देते हैं. वह कहते हैं कि असहजता महसूस करने का प्रमुख कारण है न्यूनतम तापमान में वृद्धि. पूर्व में न्यूनतम तापमान 20-21 डिग्री तक उतर जाता था, लेकिन अब न्यूनतम तापमान सामान्य से आमतौर पर ऊपर रह रहा है. यानी न्यूनतम और अधिकतम तापमान, दोनों में ही बढ़ोतरी देखने को मिल रही है. असहजता महसूस करने का यह प्रमुख कारण है. शुक्रवार के तापमान पर भी यदि हम नजर दौड़ायें, तो पाते हैं कि महानगर का अधिकतम तापमान 36.2 डिग्री और न्यूनतम तापमान 28.1 डिग्री रहा. जहां न्यूनतम तापमान सामान्य से एक डिग्री अधिक है, वहीं न्यूनतम तापमान सामान्य से 2 डिग्री अधिक है.
न्यूनतम तापमान बढ़ने का कारण
डॉ बोस कहते हैं कि न्यूनतम तापमान में बढ़ोतरी का चलन केवल कोलकाता या भारत में ही नहीं, समूचे विश्व में यह देखा जा रहा है. खासकर शहरी इलाकों में इसका प्रभाव अधिक देखने को मिलता है. इसके कई कारण हैं, जिनमें उद्योगीकरण, कार्बन प्रिंट का बढ़ना, तालाबों का कम होना, पेड़ों की कटाई आदि शामिल है. लेकिन केवल महानगर के तापमान में व्यापक परिवर्तन इसे करार नहीं दिया जा सकता. यह समस्या समूचे विश्व को झेलनी पड़ रही है.
क्या कहते हैं आंकड़े
100 वर्ष के आंकड़ों पर नजर डालें, तो कोलकाता में सर्वाधिक तापमान 1924 में व 1905 में देखा गया था.
1 जून 1924- 43.9 डिग्री
2 अप्रैल 1905 – 43.3 डिग्री
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