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बच्चों के साथ कैलाश सत्यार्थी ने बिताये पल

कोलकाता : नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने जीवनभर बच्चों के अधिकारों एवं शिक्षा के लिए काम किया. बच्चे उनके जीवन एवं कार्य का सबसे अहम हिस्सा हैं. इसलिए जब वह कोलकाता आये तो अपने व्यस्त कार्यक्रम के दौरान बच्चों के बीच कुछ पल बिताने का समय निकाल ही लिया. वह अपनी पत्नी के साथ […]

कोलकाता : नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने जीवनभर बच्चों के अधिकारों एवं शिक्षा के लिए काम किया. बच्चे उनके जीवन एवं कार्य का सबसे अहम हिस्सा हैं. इसलिए जब वह कोलकाता आये तो अपने व्यस्त कार्यक्रम के दौरान बच्चों के बीच कुछ पल बिताने का समय निकाल ही लिया. वह अपनी पत्नी के साथ दि लिटिल लौरेट स्कूल पहुंचे.
उनके स्वागत में बच्चों ने केक भी काटा. इस मौके पर श्री सत्यार्थी ने कहा कि भारत में काफी बच्चे शिक्षा की रोशनी से दूर हैं. एक विकसित व मजबूत देश के निर्माण के लिए प्रत्येक नागरिक को चाहिए कि वह ज्ञान के प्रकाश को उन बच्चों तक फैलाने का प्रयास करे.
किशोर न्याय अधिनियम को अमल में लाने का किया आह्वान
नोबेल शांति पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने कहा है कि बच्चों को आपराधिक गतिविधियों में शामिल किये जाने से रोकने के लिए देश में किशोर न्याय अधिनियम के तहत एक बहुत मजबूत प्रावधान की जरूरत है.
एक कार्यक्रम के दौरान संवाददाताआें से बात करते हुए श्री सत्यार्थी ने कहा कि किशोर न्याय अधिनियम के तहत एक बहुत मजबूत प्रावधान है जिसे अमल में लाये जाने की जरूरत है. अगर हम प्रावधानों को अमल में लाने में सक्षम हो जाते हैं तब स्थिति बदल जायेगी.
वर्ष 2014 में नोबेल शांति पुरस्कार पाने वाले कैलाश सत्यार्थी ने कहा कि अगर हम उनके शिक्षा के अधिकार को सुनिश्चित करने और मध्याह्न भोजन जैसे सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों को अच्छी तरह से लागू करने में सक्षम होते हैं तो बच्चों को गुलामी, वेश्यावृति या हिंसक गतिविधियों में शामिल होने के लिए मजबूर नहीं किया जायेगा. उन्होंने कहा कि आपको बच्चों पर दोष नहीं डालना चाहिए जो पहले से ही पीडि़त हैं.
बच्चों द्वारा धार्मिक जुलूसों में हथियार ले जाने को लेकर एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि हमें इसमें अंतर करने की जरुरत है कि उन्हें इस तरह के जुलूस में भाग लेने के लिए मजबूर किया जा रहा है या फिर वे स्वेच्छा से ऐसा कर रहे है. अगर उन्हें मजबूर किया जा रहा है तो यह अच्छी बात नहीं है. दुनिया मेें बच्चों की स्थिति पर बात करते हुये श्री सत्यार्थी ने बाल श्रम और गुलामी को खत्म करने के लिए राष्ट्रों को सामूहिक जिम्मेदारी लेने के लिए कहा.

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