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जाली डिमांड ड्राफ्ट से निगम को भुगतान

कोलकाता: ट्रायडेंट लाइट घोटाला, जाली बर्थ सर्टिफिकेट वितरण, एक ही ठिकाने पर सारधा ग्रुप के मालिक सुदीप्त सेन को 40 से अधिक ट्रेड लायसेंस जारी करने समेत कई विवादों में घिरे कोलकाता नगर निगम को एक मोबाइल कंपनी ने चूना लगा दिया है. कोलकाता वासियों को मोबाइल परिसेवा प्रदान करने वाली एक कंपनी द्वारा जाली […]

कोलकाता: ट्रायडेंट लाइट घोटाला, जाली बर्थ सर्टिफिकेट वितरण, एक ही ठिकाने पर सारधा ग्रुप के मालिक सुदीप्त सेन को 40 से अधिक ट्रेड लायसेंस जारी करने समेत कई विवादों में घिरे कोलकाता नगर निगम को एक मोबाइल कंपनी ने चूना लगा दिया है.

कोलकाता वासियों को मोबाइल परिसेवा प्रदान करने वाली एक कंपनी द्वारा जाली डिमांड ड्राफ्ट (डीडी) के द्वारा निगम को भुगतान करने का मामला सामने आया है. महानगर में जमीन के अंदर केबल तार बिछाने के वास्ते खुदाई करने के लिए न केवल निगम से इजाजत लेनी पड़ती है, बल्कि खुदाई के बाद सड़क व फुटपाथ की मरम्मत के लिए निगम को भुगतान करना पड़ता है.

कुछ दिन पहले निगम के पांच नंबर बोरो इलाके में तीन स्थानों पर एक मोबाइल कंपनी ने सड़क की खुदाई कर केबल बिछाया था, जिसके एवज में कंपनी ने निगम को तीन डिमांड ड्राफ्ट से भुगतान किया था. दो डिमांड ड्राफ्ट तो ठीक थे, पर 18 लाख 99 हजार रुपये के एक ड्राफ्ट पर निगम अधिकारियों को शक हुआ. संबंधित बैंक से संपर्क किये जाने पर उस ड्राफ्ट के जाली होनी की पुष्टि हो गयी.

निगम के मुख्य वित्त अधिकारी (सीएमएफए) ने इस पूरे मामले की रिपोर्ट मेयर शोभन चटर्जी के हवाले कर दी है. वहीं, इस मामले में मेयर शोभन चटर्जी ने आरोपी मोबाइल कंपनी के खिलाफ जरूरी कार्रवाई करने की धमकी दी है.

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