कोलकाता: श्री दिगंबर जैन अग्रवाल समाज (कोलकाता) द्वारा श्री पाश्र्वनाथ दिगंबर जैन उपवन मंदिर में आयोजित श्री 1008 सिद्धचक्र महामंडल विधान का आयोजन किया गया है. इस मौके पर श्री 108 प्रमाणसागरजी महाराज ने मंगलवार को पत्रकारों को बताया कि जैन परंपरा में पूजा, उपासना का विशेष महत्व है. इनमें से सिद्धचक्र महामंडल विधान की और भी अधिक महिमा है.
यह एक ऐसा अनुष्ठान है जो हमारी जीवन के समस्त पाप-ताप और संताप को नष्ट कर देता है. सिद्ध शब्द का अर्थ है कृत्य-कृत्य, चक्र का अर्थ है समूह और मंडल का अर्थ एक प्रकार के वृताकार यंत्र से है. इनमें अनेक प्रकार के मंत्र व बीजाक्षरों की स्थापना की जाती है. मंत्र शास्त्र के अनुसार, इसमें अनेक प्रकार की दिव्य शक्तियां प्रकट हो जाती है. सिद्धचक्र महामंडल विधान समस्त सिद्ध समूह की आराधना मंडल की साक्षी में की जाती है, जो हमारे समस्त मनोरथों को पूर्ण करती है.
पुराणों के अनुसार मैना सुंदरी ने इसी सिद्धचक्र महामंडल विधान के आयोजन से अपने को ही पति श्रीपाल को कामदेव जैसा सुंदर बना दिया. महाराजजी ने कहा कि फाल्गुन, कात्तिर्क व आषाढ़ के अंतिम आठ दिन अष्टमी से पूर्णिमा तक यह पर्व आता है. इन आठ दिनों में सिद्धों की यह विशेष आराधना के लिए सिद्धचक्र विधान किया जाता है. मौके पर रोहित भैया के अलावा श्यामसुंदर सरावगी, पवन जैन, सुधा जैन, राजेश सरावगी, अभिनंदन जैन, रमेश सरावगी, संजीव जैन आदि उपस्थित थे.