राज्य में इस तरह का यह पहला आदेश है. राज्य के आइटी सचिव ने अलग रह रही पत्नी के मोबाइल फोन की अवैध तरीके से जासूसी करने के लिए व्यक्ति को मुआवजा देने का आदेश दिया. बता दें कि राज्य के आइटी सचिव ही साइबर एडज्युडिकेटर हैं. व्यक्ति को आॅनलाइन निजता भंग करने के लिए आइटी कानून 2000 की विभिन्न धाराओं के तहत दोषी ठहराया गया. महिला के वकील विभास चटर्जी ने कहा कि कानून के अनुसार एडज्युडिकेटर अधिकतम पांच करोड़ रुपये तक मुआवजे का आदेश दे सकते हैं.
आदेश में व्यक्ति को 30 दिनों के अंदर महिला को मुआवजा देने को कहा गया है. महिला ने अपनी शिकायत में दावा किया था कि उसके पति ने जून 2014 में हावड़ा सिविल अदालत में याचिका दायर कर तलाक की मांग की थी. दोनों की मई 2013 में ही शादी हुई थी, लेकिन जल्दी ही दोनों के संबंधों में कटुता आ गयी क्योंकि व्यक्ति अपनी पत्नी पर संदेह करता था. महिला के अनुसार जब उनके संबंध अच्छे थे, उस दौरान वह फेसबुक और ईमेल अकाउंट के पासवर्ड साझा करती थी. महिला ने दावा किया कि एक बार उसके पति ने उसका मोबाइल फोन ले लिया और उसकी जानकारी के बिना ही मोबाइल फोन में एक ‘‘मैलवेयर” इंस्टाल कर दिया. इसके जरिए वह उस फोन से किए जाने वाले सभी कॉल और मैसेज की जानकारी प्राप्त कर सकता था. व्यक्ति ने सभी आरोपों से इंकार करते हुए दावा किया था कि शिकायत गलत तथा प्रेरित है.