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मछली पालन बढ़ाने के लिए वर्षा जल का उपयोग
सूखे से प्रभावित बांकुड़ा, पुरुलिया व पश्चिम मेदिनीपुर जिले में मछली पालन बढ़ाने पर जोर कोलकाता : एक अनूठी पहल के तहत राज्य मत्स्य विभाग सूखे से प्रभावित बांकुड़ा, पुरुलिया व पश्चिम मेदिनीपुर जिलों में मछली पालन बढ़ाने के लिए रेनशेड के निर्माण के माध्यम से वर्षा के जल को उपयोग में लाने की तैयारी […]
सूखे से प्रभावित बांकुड़ा, पुरुलिया व पश्चिम मेदिनीपुर जिले में मछली पालन बढ़ाने पर जोर
कोलकाता : एक अनूठी पहल के तहत राज्य मत्स्य विभाग सूखे से प्रभावित बांकुड़ा, पुरुलिया व पश्चिम मेदिनीपुर जिलों में मछली पालन बढ़ाने के लिए रेनशेड के निर्माण के माध्यम से वर्षा के जल को उपयोग में लाने की तैयारी कर रहा है.
जांच में विभाग ने यह पाया है कि बांकुड़ा, पुरुलिया, पश्चिम मेदिनीपुर व कुछ अन्य जिलों के विभिन्न इलािक में बारिश का काफी पानी बर्बाद हो जाता है. अगर वर्षा जल को छोटे डैम से जोड़ दिया जाये, तो सूखे मौसम के दौरान मत्स्य पालन, खेती व घरेलु उपयोग के लिए इसका इस्तेमाल किया जा सकता है. इस मामले पर गहन शोध के द्वारा विभाग ने यह पाया है कि बांधों में पानी जमा किये जाने से भूगर्भ जल स्तर में बढ़ोतरी में भी मदद मिलेगी.
मछली पालन में वृद्धि से ग्रामीण अर्थव्यवस्था भी बेहतर होगी. सूखा प्रभावित इलाकों में वाटरशेड का निर्माण कृषि उत्पादन, पौधारोपण, जल, मिट्टी व भूमि प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है. मत्स्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार राज्य सरकार ने बड़े पैमाने पर वाटरशेड के विकास पर जोर दिया है, जिससे मत्स्य पालन को बढ़ावा मिले.
सूत्रों के अनुसार वाटरशेड विकास के लिए पुरुलिया, बांकुड़ा व पश्चिम मेदिनीपुर जिलों में स्थानों को चिह्नित कर लिया गया है. विभाग ने इलाके में मौजूद जलाश्यों, तालाबों, नदियों आदि का एक डिजिटल नक्शा भी तैयार कर लिया है. विभाग ने बंगाल को मछली के उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने एवं निर्यात बढ़ाने के लिए एक विस्तृत योजना तैयार की है.
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