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आलू खरीदारी का सरकारी लक्ष्य पूरा नहीं कर पा रही कॉआपरेटिव सोसाइटी

हुगली. मुख्यमंत्री के निर्देश पर कॉआपरेटिव सोसाइटियों ने सरकारी सहायक मूल्यों पर आलू खरीदना शुरू कर दिया है, लेकिन सरकारी तरीके से किसान आलू बेचना नहीं चाह रहे हैं. फलस्वरूप कॉआपरेटिव सोसाइटी इसे लेकर परेशान हैं. आलू खरीदने के सरकारी लक्ष्य तक पहुंचना उनके लिए मुश्किल हो रहा है. इस बार जरुरत से ज्यादा आलू […]

हुगली. मुख्यमंत्री के निर्देश पर कॉआपरेटिव सोसाइटियों ने सरकारी सहायक मूल्यों पर आलू खरीदना शुरू कर दिया है, लेकिन सरकारी तरीके से किसान आलू बेचना नहीं चाह रहे हैं. फलस्वरूप कॉआपरेटिव सोसाइटी इसे लेकर परेशान हैं. आलू खरीदने के सरकारी लक्ष्य तक पहुंचना उनके लिए मुश्किल हो रहा है. इस बार जरुरत से ज्यादा आलू का उत्पादन होने से आलू की कीमत काफी नीचे चली गयी थी. आलू की पैदावार में जो लागत आयी थी. आलू बेचने पर कोई लाभ नहीं होने पर लोग आलू बेचना बंद कर रखे हैं.

अधिकतर किसानों का आलू अब भी खेतों में पड़ा है. ऐसी परिस्थिति को जानने के बाद मुख्यमंत्री ने प्रति किलो चार रुपये 60 पैसे की दर से आलू खरीदने का निर्देश दिया था. ख़रीदे गये आलू को आंगनबाड़ी और स्कूलों में मिड डे मील के लिए भेजने की भी बात कही थी.

उनके निर्देश मिलते ही 396 कोआॅपरेटिव सोसाइटी ने आलू खरीदना शुरू किया. मिड डे मील के लिए प्रति छात्र ढाई केजी और आंगनबाड़ी के लिए 900 ग्राम आलू निर्धारित कर दी, लेकिन सिंगूर के कई सोसाइटी की खबर लेने पर यह मालूम हुआ कि सिंगूर के 20 कॉआपरेटिव में 89 मिट्रिक टन आलू खरीदने का निर्देश दिया गया था. इनमें दिवानभेड़ी-उत्तरपाड़ा कोआॅपरेटिव सोसाइटी को 26 पैकेट यानी 1300 किलो आलू खरीदना था, खसचौक समिति को 15 पैकेट और रूपनारायण समिति को 120 पैकेट आलू खरीदना था, लेकिन सोसाइटी आलू खरीदने में विफल रही. बताया गया कि उनके 3500 सदस्यों में से हर एक से 15 केजी से अधिक आलू खरीदना संभव नहीं था. ऐसे में किससे आलू ख़रीदें किससे नहीं. दूसरी बात किसान खेत से आलू लाकर बेचना नहीं चाहते हैं.

आलू खरीदने में परेशानी हो रही है, पर आलू खरीद कर उत्तर और दक्षिण 24 परगना के स्कूलों को भेजा गया है.
सुमन चक्रवर्ती, बीडीओ (सिंगूर)

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