अत्यधिक उत्पादन के कारण बाजार में आलू 6-8 रुपये प्रति किलो की दर पर बिक रहा है. आलू किसान लागत भी नहीं निकाल पा रहे हैं. किसान सुमीत हल्दार ने बताया कि एक किलो आलू के उत्पादन पर 3. 80 से 4.20 रुपये तक का खर्च आता है, जबकि हमें 1.80-1.90 रुपये की दर से आलू बेचना पड़ रहा है. हालांकि राज्य सरकार ने मिड-डे मील एवं आंगनबाड़ी केंद्रों के लिए प्रत्येक महीने सीधे किसानों से 28 हजार किलो आलू चार रुपये 60 पैसे प्रति किलो की दर से खरीदने का एलान किया है. पर यह समस्या का हल नहीं है. कुछ गिने-चुने किसानों को छोड़ कर अधिकतर किसानों की क्षमता अपने आलू को कोल्ड स्टोरेज में रखने एवं गाड़ियों पर लाद कर अन्य स्थानों पर भेजने की नहीं है. इसलिए मजबूरी में वह आैने-पौने दाम पर बिचौलियों को आलू बेच रहे हैं.
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अधिक पैदावार की खुशी हुई काफूर, कृषक परेशान
कोलकाता: इस वर्ष राज्य में आलू आैर धान का अत्यधिक उत्पादन हुआ है. लेकिन इससे खुश होने के बजाय बंगाल के किसान बेहद परेशान हैं. क्योंकि अधिक उत्पादन उनके लिए मुसीबत बन गया है. उन्हें इसकी सही कीमत नहीं मिल रही है. इस वर्ष राज्य में 11 मिलियन टन आलू का उत्पादन हुआ है, जो […]
कोलकाता: इस वर्ष राज्य में आलू आैर धान का अत्यधिक उत्पादन हुआ है. लेकिन इससे खुश होने के बजाय बंगाल के किसान बेहद परेशान हैं. क्योंकि अधिक उत्पादन उनके लिए मुसीबत बन गया है. उन्हें इसकी सही कीमत नहीं मिल रही है. इस वर्ष राज्य में 11 मिलियन टन आलू का उत्पादन हुआ है, जो पिछले वर्ष के मुकाबले 22 प्रतिशत अधिक है.
स्थिति के लिए किसान भी जिम्मेदार : मंत्री
राज्य के कृषि मंत्री पुर्णेंदु बोस इस स्थिति के लिए कुछ हद तक किसानों को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. श्री बोस का कहना है कि हमलोग हमेशा किसानों को दूसरी फसलों के उत्पादन पर ध्यान देने का परामर्श देते हैं. चूंकि पिछले वर्ष किसानों को आलू की अच्छी कीमत मिली थी, इसलिए इस बार भी उन्होंने भारी मात्रा में आलू की खेती कर डाली. पश्चिम बंगाल में एक वर्ष में करीब 5.5 मिलियन टन आलू की खपत होती है, जबकि 4.5 मिलियन टन आलू दूसरे राज्यों में भेजा जाता है. अर्थात राज्य में एक मिलियन आलू अधिक मौजूद है. राज्य के कोल्ड स्टोरेजों की अधिकतम क्षमता 6.5 मिलियन टन है. वहीं पिछले वर्ष का स्टॉक भी मौजूद है.
नोटबंदी का भी असर
वेस्ट बंगाल कोल्ड स्टोरेज एसोसिएशन के अध्यक्ष पतित पाबन दे ने बताया कि पिछले वर्ष रखे गये कुल आलू का 35 प्रतिशत कोल्ड स्टोरेजों में ही मौजूद था, तभी नोटबंदी की घोषणा हो गयी. नकदी की कमी का सीधा असर अंतरराज्यीय व्यवसाय पर पड़ा आैर आलू की कीमत गिर कर 200 रुपये प्रति क्विंटल ( दो रुपये किलो) पर पहुंच गयी. इस वर्ष धान की भी जबरदस्त पैदावार हुई है. खरीफ 2016 में बंगाल में 16.2 मिलियन टन चावल की पैदावार हुई है. जो 2015 के मुकाबले 2.5 प्रतिशत अधिक है. एफसीआइ ने अभी तक किसानों से 1.2 लाख टन धान खरीदा है, जबकि राज्य खाद्य आपूर्ति विभाग ने एफसीआइ से 20 रुपये अधिक 1470 प्रति क्विंटल के दर पर 52 लाख टन धान खरीदने की योजना बनायी है. मुसीबत की इस घड़ी में केरल भी पश्चिम बंगाल के किसानों के लिए एक बड़े मददगार के रूप में सामने आया है. केरल स्टेट कोऑपरेटिव फेडरेशन लिमिटेड ने अभी तक बंगाल से 500 टन चावल खरीदा है. अब देखना यह है कि यह प्रयास किसानों के लिए कितना कारगर साबित होता है.
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