कोलकाता/नयी दिल्ली. बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के चार दिवसीय भारत दौरे पर यह उम्मीद लगायी जा रही थी कि तीस्ता जल बंटवारे पर दोनों देश के बीच विवाद समाप्त हो जायेगा, पर ऐसा नहीं हुआ. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बताया कि शेख हसीना के साथ हुई बैठक में तीस्ता नदी के जल के बंटवारें पर कोई बातचीत नहीं हुई. गौरतलब है कि मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री और बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना को तीस्ता के बजाय दूसरी नदियों के पानी का बंटवारा करने का प्रस्ताव दिया है.
लेकिन दोनों ने इस प्रस्ताव पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. शेख हसीना के भारत दौरा पर कई मुद्दों पर समझौते हुए लेकिन करीब 45 साल से उलझा तीस्ता नदी का मुद्दा अनसुलझा ही रह गया. शनिवार को दिल्ली स्थित हैदराबाद हाउस में भारत और बांग्लादेश के प्रधानमंत्री की मौजूदगी में ममता बनर्जी ने यह प्रस्ताव पेश किया था. इसके बाद राष्ट्रपति भवन में भी सुश्री बनर्जी ने शेख हसीना के साथ अनौपचारिक बातचीत के दौरान यह पेशकश रखी थी. तीस्ता जल विवाद पर ममता बनर्जी ने कहा : तीस्ता नदी उत्तरी बंगाल की लाइफलाइन है. तीस्ता नदी में पानी बहुत कम है.
भारत सरकार को इस नदी के अलावा अन्य नदियों पर फोकस करना चाहिए. बांग्लादेश की समस्या तीस्ता नहीं, बल्कि पानी है. भारत-बांग्लादेश के बीच कई और नदी हैं, जिससे पड़ोसी देश को पानी दिया जा सकता है. तीस्ता के बजाय दूसरी नदियों का पानी साझा किया जा सकता है, जो बांग्लादेश में भी बहती हैं. ममता ने शेख हसीना से कहा कि तीस्ता नदी में इतना पानी नहीं है, जिसे बांग्लादेश के साथ साझा किया जा सके. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि पश्चिम बंगाल को सिंचाई और पेयजल की जरूरतों के लिए पानी चाहिए और गर्मी के दौरान तीस्ता लगभग सूख जाती है.
तीस्ता नदी सिक्किम से निकल कर पश्चिम बंगाल होते हुए बांग्लादेश में ब्रह्मपुत्र नदी में मिल जाती है. तीस्ता समझौते के मुताबिक खराब मौसम के दौरान दोनों देशों के बीच 50:50 फीसदी जल बांटवारे की बात है. हालांकि ममता बनर्जी का मानना है कि इस समझौते से उनके राज्य को नुकसान पहुंचेगा. सिक्किम के साथ उत्तर बंगाल के पांच जिलों में करीब एक करोड़ लोग इस नदी पर खेती और अपनी अन्य जरूरतों के लिए निर्भर हैं. दूसरी ओर बांग्लादेश की बड़ी आबादी भी इस पर निर्भर है.
साल 2011 में जब तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह बांग्लादेश गये थे तब यह समझौता हुआ था कि दोनों देश (भारत-बांग्लादेश) तीस्ता जल का बराबर-बराबर इस्तेमाल करेंगे. लेकिन तब भी ममता बनर्जी ने यह तर्क देते हुए विरोध किया था कि इससे सूखे के मौसम में पश्चिम बंगाल के किसान तबाह हो जायेंगे. बांग्लादेश के पाकिस्तान से आजाद होने के बाद साल 1972 में दोनों देशों ने नदी संबंधी मुद्दों के समाधान के लिए एक संयुक्त जल आयोग का गठन किया था. आयोग ने अपनी रिपोर्ट 1983 में दी और इसके मुताबिक तीस्ता का 39 फीसदी पानी भारत, 36 फीसदी पानी बांग्लादेश और 25 फीसदी पानी नदी का प्रवाह बनाये रखने का प्रस्ताव दिया गया. इसी बीच न्यू जलपाईगुड़ी में गाजलडोबा बांध बना दिया गया. साल 1983 के समझौते के प्रावधान नदी प्रवाह के सही आंकड़े नहीं मिलने की वजह से लागू नहीं हो पाये थे.
परियोजनाआें के तहत राज्य का 10459 करोड़ बकाया
प्रधानमंत्री के साथ बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दावा कि विभिन्न केंद्र प्रायोजित परियोजनाआें के तहत राज्य का लगभग साढ़े करोड़ रुपया बकाया पड़ा है. मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से जल्द से जल्द इस बकाया राशि का भुगतान करने का आवेदन किया.
परियोजना का नाम बकाया राशि
मनरेगा 1546.87 करोड़
स्वच्छ भारत मिशन 1514.63 करोड़
बैकवर्ड रिजियन ग्रांट फंड (स्पेशल) 2330.01 करोड़
फूड सब्सिडी (2015-16-2016-17) 1584.53 करोड़
सर्वशिक्षा मिशन 1372.23 करोड़
नेशनल अर्बन लाइवलिहूड मिशन 341.69 करोड़
दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना 268.75 करोड़
एक्सचेंज ऑफ इन्क्लेव्स (कूचबिहार) 725.99 करोड़
राष्ट्रीय कृषि विकास योजना 117.56 कराड़
अन्य 666.75 करोड़
कुल 10459.01 करोड़