कला के क्षेत्र में असहमति होना मौलिक अधिकार है, लेकिन अगर एक किताब, कला को लेकर असहमति है और अगर आप इसे पसंद नहीं करते, तो आपके पास थिएटर के बाहर अपने विचार रखने का अधिकार है. लेकिन आप कानून व्यवस्था के लिए संकट पैदा नहीं कर सकते. फिल्म ‘पद्मावती’ के सेट पर निर्देशक संजय लीला भंसाली पर हमले की ओर इशारा करते हुए अदाकारा ने कहा कि ऐसे विरोध प्रदर्शन कई बार क्षणिक प्रसिद्धि पाने के लिए किये जाते हैं. उन्होंने कहा कि कितनी फिल्म सच में लोगों को आहत करती है.
अभिनेत्री ने कहा कि अगर सेंसर बोर्ड से पास होने के बाद किसी फिल्म को संवैधानिक संस्थाओं से इतर विरोध का सामना करता पड़ता है और अगर राज्य सरकार इस पर नियंत्रण करना चाहती है, तो वह कर सकती है. याद करिये कि बाबरी मसजिद विध्वंस और दंगों के बाद मुंबई विस्फोट की घटना हुई, लेकिन उन विस्फोटों के बाद कोई घटना नहीं हुई. ऐसा इसलिए हुआ, क्योंकि सरकार ने निर्णय लिया कि किसी भी हिंसा को बर्दाश्त नहीं किया जायेगा. आजमी के विचारों को दोहराते देते हुए अपर्णा ने कहा कि राज्य को कानून एवं व्यवस्था की स्थिति की समस्या को नियंत्रित करने की जिम्मेदारी लेनी होगी.