इनके निर्माण के लिए पश्चिम बंगाल अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति विकास वित्त निगम फंड उपलब्ध करायेगा. प्रत्येक होस्टल के निर्माण पर लगभग तीन करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान लगाया गया है. जहां जिम, कैफेटेरिया, प्रशिक्षुआें के रहने के लिए कमरे, लॉबी, वाई-फाई और एक अत्याधुनिक लाइब्रेरी की सुविधा उपलब्ध होगी. योजना के अनुसार इस प्रकार के दो होस्टल कोलकाता में और एक-एक सिलिगुड़ी व जलपाईगुड़ी में तैयार किये जायेंगे. होस्टल में आदिवासी लड़कों व लड़कियों को मुफ्त में रखा जायेगा. जिलों से उनका चयन कर उन्हें होस्टल में लाया जायेगा. उनका शहर के अच्छे स्कूलों में दाखिला करवाया जायेगा. इस बीच दक्षिण कोलकाता के कई प्रतिष्ठित स्कूलों में 12 छात्रों काे भर्ती कराया भी जा चुका है. पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग ने प्रतिभाआें की तलाश आरंभ कर दी है.
लगभग एक हजार आदिवासी लड़कों व लड़कियों को शतरंज के खेल का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. प्रशिक्षु लड़के व लड़कियां कक्षा पांच से कक्षा नौ तक में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि काफी छात्रों ने शतरंज में अपनी प्रतिभा दिखायी है.
उनके पास एकाग्रता व खेलों के प्रति प्यार है आैर वह कोचिंग के लिए शारीरिक व मानसिक रूप से फिट हैं. वहीं आदिवासी लड़कियों ने फुटबॉल में अपना कौशल दिखाया है. प्रशिक्षकों का कहना है कि उनके प्राकृतिक कौशल का विकास होना जरूरी है. पिछले कुछ वर्षों के दौरान वीरभूम, पुरुलिया, बांकुड़ा व पश्चिम मेदिनीपुर जिलों में फुटबॉल काफी लोकप्रिय हुआ है. वहीं तीरंदाजी में प्रशिक्षण हासिल करनेवालों को महंगा तीरंदाजी किट दिया जायेगा. प्रतिभाआें की तलाश में विभाग को छह-सात महीने का समय लगेगा आैर उसके बाद प्रशिक्षण आरंभ कर दिया जायेगा. प्रशिक्षुआें को सभी प्रकार की आधुनिक सुविधा प्रदान की जायेगी.