14.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

धर्म से विमुखता है दुखों का कारण

कोलकाता. रुक्मिणी जब विवाह के योग्य हुई तो एक दिन नारद ने उसे श्रीकृष्ण के गुण, रूप और सामर्थ्य के बारे में बताया. इसे सुनकर उसने कृष्ण के साथ ही विवाह करने का मन बना लिया. कृष्ण के सौंदर्य एवं गुणों के चलते रुक्मिणी के मन में प्रेम की भावना उत्पन्न हुई. रुक्मिणी ने अपने […]

कोलकाता. रुक्मिणी जब विवाह के योग्य हुई तो एक दिन नारद ने उसे श्रीकृष्ण के गुण, रूप और सामर्थ्य के बारे में बताया. इसे सुनकर उसने कृष्ण के साथ ही विवाह करने का मन बना लिया. कृष्ण के सौंदर्य एवं गुणों के चलते रुक्मिणी के मन में प्रेम की भावना उत्पन्न हुई. रुक्मिणी ने अपने पिता भीष्मक से अपनी इच्छा जतायी, लेकिन रुक्मिणी का बड़ा भाई रुक्मी, जरासंध का बड़ा भक्त था. उसने अपने पिता से कहा कि रुक्मिणी की शादी कृष्ण से न करके शिशुपाल के साथ करनी चाहिए. पिता ने अपने बेटे की बात मान ली और रुक्मिणी का विवाह शिशुपाल से करने का फैसला लिया. यह जानकर रुक्मिणी दुखी हो गयी.

उसने श्रीकृष्ण को एक पत्र लिखा और सुशील नामक एक ब्राह्मण के द्वारा इसे उसे द्वारका भेज दिया. पत्र में रुक्मिणी ने श्रीकृष्ण के प्रति अपनी प्रणयभावना लिखी और सूचना दी कि हमारे घर ऐसी प्रथा है कि विवाह के एक दिन पूर्व कन्या नगर के बाहर स्थित अंबिका के दर्शन के लिए जाती है. उस समय गुप्त रूप से आकर आप मेरा हरण करें और मेरी प्रणय भावना को स्वीकार करें. पत्र पढ़कर कृष्ण ने ऐसा ही किया. कृष्ण ने जब रुक्मिणी का हरण किया उसके उपरांत रुक्मी के साथ उनका भयंकर युद्ध हुआ. युद्ध में कृष्ण ने रुक्मी को पराजित किया. कृष्ण उसका वध करनेवाले ही थे कि तभी रुक्मिणी ने उनसे अपने भाई का जीवनदान मांगा. कृष्ण ने रुक्मी को विद्रूप करके छोड़ दिया.

अंत में बड़े धूमधाम के साथ कृष्ण का विवाह द्वारका में संपन्न हुआ. भगवान श्रीकृष्ण को आप सच्चे मन से जिस रूप में बुलायेंगे वे उसी रूप में भक्तों को दर्शन देने आते हैं. ये बातें भारत धर्मोत्थान जागरण मंच एवं श्री बरका धाम ट्रस्ट के तत्वावधान में भागवत कथा सत्संग पर प्रवचन करते हुए राधे-राधे बाबूजी ने ट्राई एंगुलर पार्क में कहीं. कथा के मुख्य यजमान सुधा-कैलाश चंद्र दुजारी ने व्यासपीठ का पूजन किया. अमृत दुजारी, पारुल दुजारी, विमल चंद दुजारी, मोहित दुजारी, करण दुजारी और विनोद नेवटिया ने व्यासपीठ से आशीर्वाद लिया.

श्रद्धालुओं का स्वागत दुष्यंत प्रताप सिंह ने किया. कार्यक्रम का संचालन महावीर प्रसाद रावत ने किया. प्रवचन के पूर्व राधे बाबूजी ने संवाददाता सम्मलेन में कहा कि धर्म विमुखता के चलते लोगों के जीवन में एक तरह से हाहाकार मचा हुआ है, अशांति फैली है. एकांकी जीवन के चलते आर्थिक रूप से संपन्न होने के बावजूद लोगों से सुख दूर होता जा रहा है. युवा पीढ़ी पश्चिमी सभ्यता के भंवर में फंसती जा रही है, इसी के चलते उनमें संस्कारों की कमी दिख रही है. घर में ही बच्चों को ऐसा संस्कार दें कि उसका जीवन सेवापरक हो जाये.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें