क्या यह सही पद हो सकता है? इसके अलावा उप सचिव नीति निर्धारक नहीं हो सकता. उसकी ओर से हलफनामा स्वीकार नहीं किया जा सकता. अदालत ने निर्देश दिया कि डीजीपी, कोलकाता पुलिस आयुक्त और प्रधान सचिव (गृह) इस मामले में पृथक हलफनामे तीन हफ्ते के भीतर दायर करेंगे. प्रधान सचिव (गृह) का नाम इसलिए दिया जा रहा है, ताकि इस बाबत नियम गठित करने को अदालत इच्छुक है.
अदालत ने सरकार से सवाल किया कि क्या पुलिसकर्मियों के लिए प्रशिक्षण का कोई द्विमासिक, त्रैमासिक या छमाही, सिस्टम है? क्या फिटनेस की जांच करने के लिए कोई सुविधा है. पुलिसकर्मियों को हथियार की प्रैक्टिस देने के लिए क्या कोई टारगेट प्रैक्टिस की सुविधा है? क्या उन्हें बगैर गोलियों के हथियार दिये जाते हैं? इस संबंध में विस्तृत हलफनामा दायर किया जाये, अन्यथा अदालत खुद ही कदम उठायेगी.