इस बीच कांग्रेस विधायक दल के उपनेता नेपाल महतो ने बुधवार को कांग्रेस की महिला विधायक प्रतीमा रजक व माकपा की विधायक जहांआरा खान से सुरक्षाकर्मियों द्वारा दुर्व्यवहार का मुद्दा उठाया. श्री महतो ने कहा कि श्री मन्नान को अध्यक्ष के निर्देश पर निलंबित किया गया था, लेकिन प्रतीमा रजक व जहांआरा खान को लेकर विधानसभा अध्यक्ष ने कोई भी निर्देश नहीं दिया था. उसके बावजूद प्रतीमा रजक को विधानसभा सुरक्षाकर्मियों ने विधानसभा कक्ष से घसीटते हुए बाहर कर दिया. यह किसके निर्देश पर हुआ है और सुरक्षाकर्मियों ने ऐसा किस हैसियत से किया.
प्रतीमा रजक ने विधानसभा अध्यक्ष से इस बाबत लिखित शिकायत भी की है. विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि पूरे मामले की विधानसभा के सचिव जांच कर रहे हैं. जांच रिपोर्ट मिलने पर वह कुछ कह पायेंगे. इसके साथ ही श्री महतो की माइक बंद कर दी गयी. इसे लेकर कांग्रेस के विधायक शोरगुर मचाने लगे और कार्रवाई स्थगित कर इस मसले पर चर्चा की मांग करने लगे, लेकिन अध्यक्ष से इनकार कर दिया. इसके बाद वाममोरचा के विधायक भी वेल में उतर कर नारेबाजी करने लगे. लगभग 25 मिनट तक विधानसभा कक्ष के अंदर नारेबाजी करते रहे और फिर विधानसभा की कार्यवाही से बहिष्कार कर गये. बाद में संवाददाता सम्मेलन में माकपा विधायक दल के नेता सुजन चक्रवर्ती व कांग्रेस विधायक दल के उपनेता नेपाल महतो ने कहा कि हालांकि उन लोगों ने बजट पर बहस में भाग लेने की घोषणा की थी, लेकिन विधानसभा कक्ष में जाकर ऐसा लगा कि उन लोगों की बातों का कोई महत्व नहीं है और न ही उन लोगों की बातें कोई सुनना चाहता है. उन लोगों ने महिला विधायक से हुए दुर्व्यवहार का मुद्दा उठाया, लेकिन अध्यक्ष कुछ सुनने के लिए तैयार नहीं हैं. ऐसी स्थिति में विधानसभा में रहने का कोई मतलब नहीं है. वास्तव में सत्तारूढ़ दल विपक्ष विहीन विधानसभा चलाना चाहता है. श्री महतो ने कहा कि सरकार के खिलाफ आंदोलन चल रहा है और चलता रहेगा.