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महिला विधायकों के साथ दुर्व्यवहार का विरोध

कोलकाता. कांग्रेस व वाममोरचा के महिला विधायकों के साथ दुर्व्यवहार के आरोप के मद्देनजर सोमवार को कांग्रेस व वाममोरचा के विधायकों ने विधानसभा की कार्यवाही का बहिष्कार किया. विधानसभा परिसर में विधायकों ने जम कर नारेबाजी की और मुंह में कालीपट्टी बांध कर व काला बैज लगा कर प्रदर्शन किया. सोमवार की सुबह विधानसभा की […]

कोलकाता. कांग्रेस व वाममोरचा के महिला विधायकों के साथ दुर्व्यवहार के आरोप के मद्देनजर सोमवार को कांग्रेस व वाममोरचा के विधायकों ने विधानसभा की कार्यवाही का बहिष्कार किया. विधानसभा परिसर में विधायकों ने जम कर नारेबाजी की और मुंह में कालीपट्टी बांध कर व काला बैज लगा कर प्रदर्शन किया. सोमवार की सुबह विधानसभा की कार्यवाही शुरू हुई. विधानसभा अध्यक्ष बिमान बनर्जी ने शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी को प्रश्नोत्तर काल में प्रश्नों का जवाब देने के लिए पुकारा.

इस बीच कांग्रेस विधायक दल के उपनेता नेपाल महतो ने बुधवार को कांग्रेस की महिला विधायक प्रतीमा रजक व माकपा की विधायक जहांआरा खान से सुरक्षाकर्मियों द्वारा दुर्व्यवहार का मुद्दा उठाया. श्री महतो ने कहा कि श्री मन्नान को अध्यक्ष के निर्देश पर निलंबित किया गया था, लेकिन प्रतीमा रजक व जहांआरा खान को लेकर विधानसभा अध्यक्ष ने कोई भी निर्देश नहीं दिया था. उसके बावजूद प्रतीमा रजक को विधानसभा सुरक्षाकर्मियों ने विधानसभा कक्ष से घसीटते हुए बाहर कर दिया. यह किसके निर्देश पर हुआ है और सुरक्षाकर्मियों ने ऐसा किस हैसियत से किया.

प्रतीमा रजक ने विधानसभा अध्यक्ष से इस बाबत लिखित शिकायत भी की है. विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि पूरे मामले की विधानसभा के सचिव जांच कर रहे हैं. जांच रिपोर्ट मिलने पर वह कुछ कह पायेंगे. इसके साथ ही श्री महतो की माइक बंद कर दी गयी. इसे लेकर कांग्रेस के विधायक शोरगुर मचाने लगे और कार्रवाई स्थगित कर इस मसले पर चर्चा की मांग करने लगे, लेकिन अध्यक्ष से इनकार कर दिया. इसके बाद वाममोरचा के विधायक भी वेल में उतर कर नारेबाजी करने लगे. लगभग 25 मिनट तक विधानसभा कक्ष के अंदर नारेबाजी करते रहे और फिर विधानसभा की कार्यवाही से बहिष्कार कर गये. बाद में संवाददाता सम्मेलन में माकपा विधायक दल के नेता सुजन चक्रवर्ती व कांग्रेस विधायक दल के उपनेता नेपाल महतो ने कहा कि हालांकि उन लोगों ने बजट पर बहस में भाग लेने की घोषणा की थी, लेकिन विधानसभा कक्ष में जाकर ऐसा लगा कि उन लोगों की बातों का कोई महत्व नहीं है और न ही उन लोगों की बातें कोई सुनना चाहता है. उन लोगों ने महिला विधायक से हुए दुर्व्यवहार का मुद्दा उठाया, लेकिन अध्यक्ष कुछ सुनने के लिए तैयार नहीं हैं. ऐसी स्थिति में विधानसभा में रहने का कोई मतलब नहीं है. वास्तव में सत्तारूढ़ दल विपक्ष विहीन विधानसभा चलाना चाहता है. श्री महतो ने कहा कि सरकार के खिलाफ आंदोलन चल रहा है और चलता रहेगा.

हाईकोर्ट और बॉयकॉट की राजनीति कर रहा है विपक्ष : पार्थ
संसदीय मंत्री पार्थ चटर्जी ने कहा कि विरोधी दल के नेताओं का कोई जनाधार नहीं बचा है. वे लोग हाइकोर्ट और बॉयकाट की राजनीति कर सुर्खियों में रहना चाहते हैं. माकपा का संसदीय राजनीति में विश्वास नहीं है. कांग्रेस भी उनके साथ उसी राह पर है. उन्होंने कहा कि अब्दुल मन्नान के बीमार होने पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के निर्देश पर तीन विधायक डॉक्टर श्री मन्नान के स्वास्थ्य की देखरेख के लिए अस्पताल में गये थे. उसके बाद वह व विधानसभा अध्यक्ष गये. खुद मुख्यमंत्री विपक्ष के नेता को अस्पताल में देखने गयीं. इसके बावजूद विपक्ष अपनी भूमिका का पालन नहीं कर रहा.

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