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सिलीगुड़ी में खुलेगा आइसीएसआइ का नया चैप्टर

कोलकाता: द इंस्टीट्यूट ऑफ कंपनी सेक्ररेटरीज ऑफ इंडिया (आइसीएसआइ) के इस्टर्न इंडिया रीजनल काउंसिल (इअाइआरसी) के चेयरमैन सीएस सिद्धार्थ मुरारका ने कहा है कि सिलीगुड़ी में आइसीएसआइ-इआरआरसी का नया चैप्टर खोला जायेगा. दो माह के अंदर यह चैप्टर खुल जायेगा. फिलहाल पूर्वी क्षेत्र में सात चैप्टर भुवनेश्वर, पटना, रांची, धनबाद, जमशेदपुर, गुवाहाटी व हुगली में […]

कोलकाता: द इंस्टीट्यूट ऑफ कंपनी सेक्ररेटरीज ऑफ इंडिया (आइसीएसआइ) के इस्टर्न इंडिया रीजनल काउंसिल (इअाइआरसी) के चेयरमैन सीएस सिद्धार्थ मुरारका ने कहा है कि सिलीगुड़ी में आइसीएसआइ-इआरआरसी का नया चैप्टर खोला जायेगा. दो माह के अंदर यह चैप्टर खुल जायेगा. फिलहाल पूर्वी क्षेत्र में सात चैप्टर भुवनेश्वर, पटना, रांची, धनबाद, जमशेदपुर, गुवाहाटी व हुगली में हैं.

सिलीगुड़ी में नया चैप्टर खुलने से पूर्वी क्षेत्र में कुल आठ चैप्टर हो जायेंगे. सीएस मुरारका ने प्रभात खबर से विशेष बातचीत में बताया कि सिलीगुड़ी में नया चैप्टर खुलने से दार्जिलिंग व गंगटोक आदि क्षेत्र के छात्रों व सीएस को काफी मदद मिलेगी. आइसीएसआइ डिस्टेंस एजुकेशन के माध्यम से शिक्षा प्रदान करता है. उस क्षेत्र के छात्र अब ऑनलाइन के साथ-साथ सिलीगुड़ी चैप्टर में अपना पंजीकरण करवा पायेंगे तथा वहां से मेटेरियल संग्रह कर पायेंगे.

एनसीएलटी में काम के लिए प्रोत्साहन
उन्होंने कहा कि सरकार ने नेशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल (एनसीएलटी) का गठन किया है. एनसीएलटी व द इनसोलवेंसी एंड बैंक्रप्सी कोड 2016 में अधिक से अधिक आइसीएसआइ के छात्रों की भागीदारी बढ़े, वे लोग इसे सुनिश्चित करवाते हैं. नये सीएस को प्रोत्साहित किया जाता है कि वे एनसीएलटी में जायें तथा वहां के कामकाज से वाकिफ हों.
जीएसटी पर कार्यशाला
उन्होंने कहा कहा कि फिलहाल सेल्स टैक्स के मामलें में ज्यादा सीएस की भागीदारी नहीं देखी जाती है, लेकिन जीएसटी लागू होने पर सीएस की भागीदारी बढ़े, इसके लिए वे लोग जागरूकता पैदा कर रहे हैं तथा जगह-जगह कार्यशाला का आयोजन कर रहे हैं. वे लोग कार्यक्षमता बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं, ताकि अधिक से अधिक सीएस विभिन्न कार्यों के साथ युक्त हों.
बजट में सीएस को मिले रियायत
सीएस मुरारका ने कहा कि फिलहाल सीएस से कुल पावत्ती के 50 फीसदी पर कर देना होगा. वे लोग आशा कर रहे हैं कि केंद्र सरकार अपने बजट में इसे घटा कर 40 फीसदी करे, क्योंकि 50 फीसदी पर कर का प्रावधान ज्यादा है. इसके साथ ही उम्मीद है कि आयकर में छूट की सीमा बढ़ायी जायेगी, क्योंकि नोटबंदी के बाद कई क्षेत्रों पर विपरीत असर पड़ा है. आयकर की सीमा बढ़ाने से अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी.

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