कोलकाता. हिंदी के सुपरिचित कवि, व्यंग्यकार तथा अंगरेजी के उपन्यासकार गिरीश पांडेय ने कहा है कि मीडिया को सकारात्मकता की तरफ देखना चाहिए. श्री पांडेय बुधवार को महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के कोलकाता केंद्र में पत्रकारिता की दशा एवं दिशा पर विशेष व्याख्यान दे रहे थे.
उन्होंने कहा कि यदि पत्रकारिता में नकारात्मक चीजों का प्रकाशन व प्रसारण नहीं रोका गया तो कुछ वर्षों बाद ऐसी नौबत आ जायेगी कि सिगरेट के पॉकेट में जिस तरह चेतावनी दी जाती है कि उसे पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, वैसा ही संबद्ध मीडिया में भी दिया जाने लगेगा कि यह प्रकाशन अथवा प्रसारण मानिसक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है. श्री पांडेय ने कहा कि किसी जन माध्यम के लिए जरूरी है कि वह पूर्वग्रह से मुक्त हो. वह संवेदनशील हो.
उसमें अहंकार न हो. अभिमान की जगह स्वाभिमान हो, तभी वह संतुलित व सकारात्मक दृष्टिकोण अपना पायेगा. श्री पांडेय ने कहा कि जिस तरह वेब मीडिया की आज ग्लोबल पहुंच है, वैसी ही लोक साहित्य की भी ग्लोबल पहुंच है और लाखों वर्षों से लोक साहित्य की यह ग्लोबल पहुंच बनी हुई है. उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि खूंटे में फंसे दाने के लिए भोजपुरी में जो लोककथा है, बढ़ई बढ़ई खूंचा चीर, वह दुनिया की हर भाषा में है. व्याख्यान के बाद श्री पांडेय ने बीएसएफ के डिप्टी कमांडेंट मनोज राय, लेखिका-प्राध्यापिका डॉ तारा दूगड़, सोनी कुमारी सिंह, अंबरीन अरशद, शाहिद मुस्ताक, आफरीन जमान, जया तिवारी, अमति कुमार राय और अभिषेक शर्मा के प्रश्नों के उत्तर भी दिये. आरंभ में विश्वविद्यालय के कोलकाता केंद्र के प्रभारी डॉ कृपाशंकर चौबे ने स्वागत भाषण किया तथा सहायक क्षेत्रीय निदेशक डॉ प्रकाश त्रिपाठी ने सूत की माला पहना कर श्री पांडेय का सम्मान किया. धन्यवाद ज्ञापन वेब पत्रकारिता की छात्र फातिमा कनीज ने किया.