अब तक तीन साल के बीटेक कोर्स में केवल साइंस के ग्रेजुएट छात्र ही दाखिला ले रहे थे. जो छात्र इंजीनियरिंग डिग्री के लिए तीन साल पढ़ते हैं, वही बीटेक के लिए आवेदन कर सकते हैं. परिवर्तित चार साल के बीटेक कोर्स के लिए उच्च माध्यमिक करने के बाद राज्य के जेइइ परीक्षा के जरिये छात्र आवेदन कर पायेंगे. अगले साल से 80 प्रतिशत बीटेक सीटें राज्य के जेइइ के जरिये भरी जायेंगी.
इस साल 55 प्रतिशत सीटें, यानि कि 300 में से 165 सीटें जेइइ के जरिये भरी गयी हैं. यूनिवर्सिटी 2017 तक इसमें 10 प्रतिशत सीटों का इजाफा करेगी. इसका फाइनल निर्णय एडमिशन कमेटी व जेइइ बोर्ड की एक बैठक में किया जायेगा. एडमिशन कमेटी के एक सदस्य ने बताया कि यूनिवर्सिटी इस बात को लेकर चिंता में थी कि सीयू के साल्टलेक स्थित टेक्नोलोजी कैम्पस में पर्याप्त कक्षाएं हो पायेंगी कि नहीं.
वहां शिक्षकों की भी कमी है. प्रथम वर्ष की कक्षाएं टेक्नोलॉजी कैम्पस में ली जायेगी. द्वितीय वर्ष की सब्जेक्ट विशेष की कक्षाएं राजाबाजार साइंस कॉलेज व बालीगंज साइंस कॉलेज में ली जायेंगी. सभी आठ विभाग, जैसे कम्प्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग, इनफोरमेशन टेक्नोलोजी, रेडियो फिजिक्स एंड इलेक्ट्रोनिक्स, केमिकल इंजीनियरिंग जैसे अन्य अाठ विभाग अभी बीटेक डिग्री ऑफर कर रहे हैं. एडमिशन कमेटी के एक सदस्य ने बताया कि यूनिवर्सिटी प्रशासन को अतिरिक्त क्लासरूम की व्यवस्था करने के लिए कहा गया है. नये शिक्षकों के पद नियुक्त करने के लिए भी दबाव डाला गया है, ताकि चार साल का कोर्स जल्द से जल्द समय पर पूरा किया जा सके. पुराने मोड्यूल पर तीन साल के बीटेक. छात्रों को बड़ी कंपनियों में नाैकरी पाने में भी परेशानी हो रही थी. इसमें बहुत कम साइंस ग्रेजुएट दाखिला ले रहे थे.