राज्य में सभी क्षेत्रों के लिए एक ही मेधा तालिका जारी की जायेगी तथा क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा केवल उत्तीर्ण उम्मीदवारों की सूची केंद्रीय आयोग के भेजने का अधिकार है. नियुक्ति पर अंतिम फैसला केंद्रीय आयोग द्वारा ही लिया जायेगा. उन्होंनेे कहा कि इस फैसले का उद्देश्य मेधा को अग्राधिकार देना है तथा नियुक्ति में पारदर्शिता लाना है. उन्होंने संकेत दिया कि जिस तरह से अन्य पदों पर नियुक्ति के लिए मेडिकल जांच व पुलिस जांच बाध्यतामूलक है. उसी तरह से शिक्षकों की नियुक्ति में भी मेडिकल व पुलिस जांच बाध्यतामूलक किये जाने पर विचार किया जा रहा है. जल्द ही इस बाबत विधेयक लाया जायेगा.
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अब केंद्रीय स्तर पर होगी शिक्षकों की नियुक्ति
कोलकाता. राज्य के विभिन्न क्षेत्रों की जगह अब केंद्रीय स्तर पर शिक्षकों व गैर शिक्षक कर्मचारियों की नियुक्ति होगी व अब विभिन्न क्षेत्रीय कार्यालय की जगह केंद्रीय स्तर पर एक ही मेधा तालिका जारी की जायेगी. राज्य के शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने बुधवार को विधानसभा में यह जानकारी दी. विधानसभा में बुधवार को द […]
कोलकाता. राज्य के विभिन्न क्षेत्रों की जगह अब केंद्रीय स्तर पर शिक्षकों व गैर शिक्षक कर्मचारियों की नियुक्ति होगी व अब विभिन्न क्षेत्रीय कार्यालय की जगह केंद्रीय स्तर पर एक ही मेधा तालिका जारी की जायेगी. राज्य के शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने बुधवार को विधानसभा में यह जानकारी दी.
विधानसभा में बुधवार को द वेस्ट बंगाल स्कूल सर्विस कमीशन (एमेंडमेंट) बिल, 2016 ध्वनि मत से पारित कर दिया गया. हालांकि विधेयक को पारित होने को लेकर वाम विधायकों में असमंजस की स्थिति देखी गयी. संशोधन के लेकर माकपा विधायक शेख अहमद हुसैन ने विधेयक पर वोटिंग की मांग की तथा विधानसभा अध्यक्ष ने मतदान के लिए निर्देश भी दिया. मतदान की प्रक्रिया शुरू भी हुई, लेकिन बाद में माकपा विधायक दल के नेता सुजन चक्रवर्ती ने कहा कि वे लोग संशोधन पर मतदान की मांग कर रहे थे, न कि विधेयक को लेकर.
संशोधन विधेयक पर हुई बहस का जवाब देते हुए श्री चटर्जी ने कहा कि अभी तक विभिन्न क्षेत्रीय कार्यालय के तहत शिक्षकों व गैर शिक्षक कर्मचारियों की नियुक्ति होती थी, लेकिन इससे यह देखा जाता था कि एक ही विषय में अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग नंबर पर नियुक्ति होती है. जैसे उत्तर क्षेत्र में शिक्षा विषय में कहीं 29 नंबर पाकर आवेदक उतीर्ण हो जा रहा है, जबकि कहीं 34 नंबर पाकर भी आवेदक उत्तीर्ण नहीं हो पा रहा है. इस कारण आवेदकों की योग्यता के अलग-अलग मापदंड हो जा रहे थे. इससे शिक्षकों के पद भी नहीं भरे जा रहे थे. अब इसी असमानता को समाप्त करने की कोशिश की गयी है.
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