कोलकाता : बात करने का तरीका सही हो, तो व्यक्ति बहुत आसानी से अपना काम करवा सकता है. संवाद कला पर ही कई चीजें निर्भर करती हैं. युवाओं में इस कला को विकसित करने के लिए नेशनल स्पीकर्स एकेडमी की स्थापना की गयी. इस एकेडमी की ओर से विभिन्न स्कूलों के छात्रों के बीच एक पब्लिक स्पीकिंग प्रतियोगिता का आयोजन किया गया.
माैलाली, यवा केंद्र के स्वामी विवेकानंद ऑडिटोरियम में आयोजित इस प्रतियोगिता के फाइनल राउंड में कई स्कूलों ने भाग लिया. इंटर स्कूल स्पीकिंग प्रतियोगिता के लिए प्रारंभिक राउंड में 12 स्कूलों के छात्र-छात्राओं ने भाग लिया. इसके क्वार्टर फाइनल में 20 बेस्ट वक्ताओं को चुना गया. बाद में प्रत्येक स्कूल से तीन छात्रों को चुना गया. कुल 36 छात्रों ने भाग लिया. इन 36 छात्रों ने प्रतियोगिता में भाषण देकर अपनी प्रतिभा दिखायी. इन छात्रों में से जजों ने 12 बेस्ट स्पीकरों को चुना. इन 12 बेस्ट वक्ताओं में से अंततः तीन विजेताओं को चुना गया. तीनों विजेताओं को पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया.
माैके पर नेशनल स्पीकर्स एकेडमी की संस्थापक जिलियन हसलम ने कहा कि पब्लिक स्पीकिंग एक बहुत बड़ी कला है. श्रोताओं के समक्ष अपनी बात रखने के लिए यह कला आनी चाहिए. छात्रों में इसकी दक्षता व हुनर को विकसित करने के लिए नेशनल स्पीकर्स एकेडमी की स्थापना की गयी. यह कला सीखने के लिए प्रोफेशनल्स भी यह कोर्स कर सकते हैं. यह कला सीखने के बाद युवाओं में बोलते समय एक आत्मविश्वास अा जाता है. सामाजिक व बिजनेस के क्षेत्र में भी बेहतर कम्युनिकेशन से कामयाबी हासिल की जा सकती है.
युवा केंद्र में प्रतियोगिता के लिए जज के रूप में सामाजिक कायर्कर्ता माइकेव रोबरसन, सीनियर इंगलिश अध्यापिका मेलोडी डी-रोजरियो, लेजिसलेटिव असेंबली के सदस्य शेन कैलवर्ट सहित डॉ ग्राहम होम्स व रामकिशन मिशन विवेकानंद यूनिवर्सिटी के सहायक लेक्चरर जनार्दन घोष उपस्थित रहे. इन वक्ताओं ने बेहतर सवांद कला का महत्व बताते हुए छात्रों को प्रोत्साहित किया. तीन विजेताओं में से प्रथम को एक लाख, दूसरे विजेता को 50,000 व तीसरे को 25, 000 रुपये का पुरस्कार दिया गया.