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नोटबंदी: विधानसभा में बहस के दौरान जमकर हुआ हंगामा, विपक्ष को एकजुट नहीं कर पायी सरकार

कोलकाता: लोकसभा के बाद अब पश्चिम बंगाल के विधानसभा में भी नोटबंदी का मुद्दा गूंजा. राज्य सरकार ने नोटबंदी के खिलाफ एक प्रस्ताव पेश किया और इस विधेयक को पारित करने के लिए सभी पार्टियों की रजामंदी मांगी. नोटबंदी पर हो रही बहस में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष व विधायक दिलीप घोष ने कहा कि देश […]

कोलकाता: लोकसभा के बाद अब पश्चिम बंगाल के विधानसभा में भी नोटबंदी का मुद्दा गूंजा. राज्य सरकार ने नोटबंदी के खिलाफ एक प्रस्ताव पेश किया और इस विधेयक को पारित करने के लिए सभी पार्टियों की रजामंदी मांगी. नोटबंदी पर हो रही बहस में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष व विधायक दिलीप घोष ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 50 दिनों का समय मांगा है, क्योंकि देश में 70 वर्षों से जो गंदगी जमी हुई है, उसे साफ करने में समय तो लगेगा.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विमुद्रीकरण के फैसले का सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि विदेशों से भी समर्थन मिल रहा है, लेकिन देश के लोगों को यह फैसला रास नहीं आ रहा. इसके पीछे आम जनता का दर्द नहीं, बल्कि कुछ और ही सच्चाई है. उन्होंने मुख्यमंत्री पर कटाक्ष करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री जिस प्रकार नोटबंदी के खिलाफ प्रदर्शन कर रही हैं, इसे देख कर उनको शर्म आ रही है. एक मुख्यमंत्री को इस प्रकार से नहीं करना चाहिए. वहीं, भाजपा द्वारा जमीन खरीदने की घटना पर उन्होंने कहा कि पार्टी ने नकद में जमीन नहीं खरीदी है, चेक के माध्यम से भुगतान हुआ है.

बैंक के माध्यम से रुपये का लेन-देन हुआ है. हम अपना रुपया बैंक में रखते हैं, न कि घर में छिपा कर. यहां की पूर्व वाम मोरचा सरकार ने चिटफंड कंपनियों को जन्म दिया, जिसने बंगाल के लाखों घर उजाड़ दिये. मुख्यमंत्री को आड़े हाथों लेते हुए श्री घोष ने कहा कि वह मुख्यमंत्री का दर्द समझ सकते हैं. सिंडिकेट का रुपया, मिट्टी की दलाली का रुपया, सारधा व नारदा कांड से जमा किया गया रुपया एक बार में प्रधानमंत्री के फैसले से माटी हो गया है. जिस दिन बंगाल की जनता मुख्यमंत्री को यहां से भगायेगी, उस दिन उनको पता चलेगा. उन्होंने कहा कि यहां की सरकार प्रधानमंत्री, सेना व राज्यपाल, किसी की इज्जत नहीं कर रही और ना ही उनकी बात मान रही है. उनके इस बयान के बाद सदन में मौजूद तृणमूल कांग्रेस विधायकों ने हंगामा शुरू कर दिया.
नोटबंदी के फैसले पर राज्य के वित्त मंत्री डॉ अमित मित्रा ने कहा कि किसी भी गणतांत्रिक देश में नोट बंद नहीं किया जाता. इससे अर्थ व्यवस्था प्रभावित होती है. म्यांमार, नाईजीरिया, रूस जैसे देशों में यह लागू होता है, भारत जैसे गणतांत्रिक देश में नहीं. उन्हें यह नहीं समझ आ रहा है कि आखिर केंद्र सरकार ने यह निर्णय क्यों लिया.
राज्य के शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने कहा कि केंद्र सरकार के इस फैसले का विरोध स्वयं मुख्यमंत्री कर रही हैं और पार्टी का क्या रुख होगा, मुख्यमंत्री स्वयं तय कर रही हैं. नोटबंदी के फैसले को देश प्रेम से जोड़ने के संबंध में श्री चटर्जी ने कहा कि देश प्रेम से देशवासियों को फायदा व सहूलियत होनी चाहिए, न कि उनको तकलीफ होनी चाहिए.
गौरतलब है कि नोटबंदी के खिलाफ राज्य सरकार की ओर से विधानसभा में प्रस्ताव पेश किया गया, लेकिन प्रस्ताव को सर्वसम्मति नहीं मिली. इस मुद्दे पर कांग्रेस के अब्दुल मन्नान व माकपा के सुजन चक्रवर्ती ने कहा कि वह नोटबंदी के खिलाफ नहीं हैं. उनका कहना है कि नोटबंदी के कारण जो लोगों को परेशानियां हो रही हैं, वह न हों. केंद्र सरकार को सुविधाओं का और विकास करना चाहिए.

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