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कोलकाता में रेडियोएक्टिविटी को लेकर NDRF ने किया मॉक ड्रिल
कोलकाता : एक जमाना था, जब आपदा केवल प्राकृतिक ही हुआ करती थी, पर विकास की लहर ने आपदा के दायरे को भी बढ़ाना शुरू कर दिया है. अब आतंकवादियों के साथ-साथ रेडियोएक्टिविटी का खतरा भी बढ़ गया है. इसके विकिरण के कारण एक समय में हजारों लोगों की जान जा सकती है. रेडियोलॉजिकल आपात […]
कोलकाता : एक जमाना था, जब आपदा केवल प्राकृतिक ही हुआ करती थी, पर विकास की लहर ने आपदा के दायरे को भी बढ़ाना शुरू कर दिया है. अब आतंकवादियों के साथ-साथ रेडियोएक्टिविटी का खतरा भी बढ़ गया है. इसके विकिरण के कारण एक समय में हजारों लोगों की जान जा सकती है. रेडियोलॉजिकल आपात स्थिति में लोगों की जान कैसे बचायी जाये, इस बारे में जागरूक करने एवं जानकारी उपलब्ध कराने के लिए नेशनल डिजास्टर रिस्पोंस फोर्स (एनडीआरएफ) की सेकंड बटालियन ने कोलकाता मेट्रो रेलवे के साथ मिल कर खुदीराम बोस मेट्रो स्टेशन पर एक मॉक ड्रिल का आयोजन किया. इसमें यह दिखाया गया कि मेट्रो स्टेशन पर रेडियोलॉजिकल फैलाववाले उपकरण (आरडीडी) का एक धमाका होता है, जिसकी वजह से रेडियोधर्मी सामग्री वातावरण में तेजी से फैलने लगती है. यह खबर पाते ही एनडीआरएफ की टीम फौरन घटनास्थल पर पहुंचती है आैर वहां फंसे लोगों को बचाती है.
इस घटना में 10 लोग रेडियोधर्मी विकिरण से प्रभावित होते हैं, जिन्हें एनडीआरएफ की टीम रेलकर्मियों एवं अन्य संस्थाआें की मदद से सुरक्षित निकाल ले जाती है. सभी को इलाज के लिए रेलवे अस्पताल भेजा जाता है. स्टेशन में फंसे यात्रियों को वहां से सुरक्षित निकाला जाता है आैर जो लोग प्रभावित हुए थे, उन्हें एनडीआरएफ रेडियोलॉजिकल टीम संभालती है.
इस अभ्यास द्वारा सेकंड बटालियन एनडीआरएफ का उद्देश्य लोगों तक यह संदेश पहुंचाना है कि किसी भी प्रकार की आपदा में घबरायें नहीं आैर अफवाहों पर ध्यान न दें. इसके अलावा एनडीआरएफ का मकसद रेडियोलॉजिकल आपात स्थिति से निबटने में रेलवे एवं अन्य सरकारी संस्थाआें को बचाव के बुनियादी गुर से अवगत कराना है.
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