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10 रुपये के सिक्के को लेकर किच-किच

समस्या. अफवाहों की वजह से असली दस रुपये के सिक्के लेने से इनकार कर रहे लोग दुकानदार से लेकर बस के कंडक्टर 10 के सिक्के लेने से इनकार कर रहे कोलकाता. 500 और 1000 रुपये की नोटबंदी के बाद अब 10 के सिक्के को लेकर पूरे महानगर में किच-किच मची हुई है. दुकानदार से लेकर […]

समस्या. अफवाहों की वजह से असली दस रुपये के सिक्के लेने से इनकार कर रहे लोग
दुकानदार से लेकर बस के कंडक्टर 10 के सिक्के लेने से इनकार कर रहे
कोलकाता. 500 और 1000 रुपये की नोटबंदी के बाद अब 10 के सिक्के को लेकर पूरे महानगर में किच-किच मची हुई है. दुकानदार से लेकर बस के कंडक्टर 10 के सिक्के लेने से इनकार कर रहे हैं. इसे लेकर दुकानदार-ग्राहक और बस कंडक्टर और यात्रियों के बीच प्राय: ही बहस हो रही है. हालांकि भारतीय रिजर्व बैंक ने साफ कर दिया है कि 10 के सिक्के मान्य हैं तथा सिक्के लेने से कोई इनकार नहीं कर सकता है. सिक्के लेने से इनकार करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जायेगी.
दूसरी ओर, दुकानदार व बस कंडक्टरों को कहना है कि उन्हें 10 के सिक्के लेने में कोई परेशानी नहीं है, लेकिन जब वे सिक्के ले लेते हैं, तो उनसे कोई भी सिक्का लेना नहीं चाहता है. ऐसी स्थिति में वे इन सिक्कों का क्या करेंगे. पेट्रोल पंप के मालिक से लेकर स्पेयर पार्ट्स के दुकानदार 10 के सिक्के नहीं लेना चाहते हैं. ऐसी स्थिति में वे इन सिक्कों का क्या करेंगे.
‘बस कंडक्टर 10 रुपये के सिक्के ले रहे हैं, लेकिन यात्री इसे वापस नहीं ले रहे हैं. इसके अलावा पेट्रोल पंप, स्पेयर्स पार्ट व पेट्रोलियम उत्पाद बेचने वाले दुकानदार के साथ-साथ बैंक भी 10 रुपये के सिक्के नहीं ले रहे हैं. ऐसे में बस कंडक्टर इन 10 रुपये के सिक्कों को लेकर क्या करेगा. इसका सर्कुलेशन की पूरी तरह बंद है. अगर कंडक्टर के पास 10 रुपये के 300 सिक्के रहें तो उसका बैग भी बहुत वजनदार हो जायेगा. बस मालिकों ने कंडक्टरों को सिक्का नहीं लेने का कोई आदेश नहीं दिया है. हमें बेहिचक 10 रुपये के सिक्के लेना चाहिए.
-तपन बनर्जी, महासचिव, ज्वायंट काउंसिल ऑफ बस सिंडिकेट
‘भारतीय रिजर्व बैंक को इस संबंध में जागरूकता फैलानी चाहिए. क्योंकि बाजार में 10 रुपये के सिक्के को लेकर अफवाह फैल चुकी है, कोई भी इसे नहीं लेना चाह रहा. जबकि हमें 10 रुपये के सिक्कों के लेन-देन में कोई हिचक नहीं होनी चाहिए. बड़े नोटों के बंद होने से सिक्के का चलन अब ज्यादा हो रहा है. आरबीआइ को भी इस संबंध में लोगों के बीच जागरूकता फैलाने की जरूरत है, तािक 10 रुपये के सिक्के को लेकर असमंजस की स्थिति खत्म हो और आपस में विवाद न हो.
-नवल किशोर श्रीवास्तव, महासचिव, कलकत्ता टैक्सी ऑपरेटर्स यूनियन

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