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खूब मिले आश्वासन, नहीं सुधरी सिद्दिका की हालत

कोलकाता. दक्षिण दिनाजपुर के बंशीहारी गांव की सिद्दिका परवीन की विशाल काया ने उसे न केवल पश्चिम बंगाल बल्कि देश भर में सुर्खियों में ला दिया था. ऊपरवाले ने 27 वर्षीय सिद्दिका के अभिभावकों को धन-दौलत तो नहीं दी, लेकिन बेहद गरीब परिवार की युवती को इतना बड़ा कद दे दिया कि वह उसकी जान […]

कोलकाता. दक्षिण दिनाजपुर के बंशीहारी गांव की सिद्दिका परवीन की विशाल काया ने उसे न केवल पश्चिम बंगाल बल्कि देश भर में सुर्खियों में ला दिया था. ऊपरवाले ने 27 वर्षीय सिद्दिका के अभिभावकों को धन-दौलत तो नहीं दी, लेकिन बेहद गरीब परिवार की युवती को इतना बड़ा कद दे दिया कि वह उसकी जान का जंजाल बन कर रह गया है. सिद्दिका की ऊंचाई साढ़े आठ फीट है आैर उसका वजन 120 किलोग्राम है. जिंदा रहने के लिए दिन भर में उसे कम से कम दो किलो चावल का भात चाहिए. उसकी बेतहाशा बढ़ रही लंबाई की खबर प्रकाश में आने के बाद काफी लोग मदद के लिए सामने आये थे.

मुख्यमंत्री की हिदायत पर प्रत्येक महीने कीमती इंजेक्शन की व्यवस्था तो हो गयी है, लेकिन पेट भरना मुश्किल हो रहा है. इलाज के लिए कोलकाता आने का खर्च भी उठाना मुश्किल है. वह चाहती है कि सरकार मदद के लिए सामने आये. आश्वासन देनेवाले सब गुम हो गये हैं. अखबार व टीवी से काफी प्रचार मिलने के बावजूद सिद्दिका के जीवन में कुछ भी नहीं बदला है.

2013 में पहली बार सिद्दिका का मामला सामने आया था. तब राज्य सरकार ने उसे कोलकाता लाकर एसएसकेएम अस्पताल में एक महीने तक उसका इलाज करवाया था. पर, उसकी स्थिति में कोई खास सुधार नहीं हुआ. लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस नेता आेमप्रकाश मिश्रा की सहायता से दिल्ली के एम्स में ले जाकर सिद्दिका का इलाज कराया गया. वहां उसका ऑपरेशन भी किया गया, लेकिन उसके बाद किसी ने उसकी सुध नहीं ली. उसकी अत्यधिक ऊंचाई के कारण उसे आम लोगों से अधिक खाना चाहिए. मजदूर पिता के लिए इसकी व्यवस्था करना संभव नहीं. फलस्वरूप वह एक बार फिर बीमार पड़ गयी.

दोबारा सरकारी सहायता से एसएसकेेएम में उसका इलाज आरंभ हुआ. प्रत्येक महीने इंजेक्शन दिये जाने की भी व्यवस्था की गयी, लेकिन खाने-पीने एवं आने-जाने के खर्च की कोई व्यवस्था नहीं की गयी. सरकार ने उसके लिए विशेष राशन की बात तो की थी, पर अब वह भी नहीं मिल रहा है. सिद्दिका का परिवार चाहता है कि सरकार मुफ्त चिकित्सा के साथ-साथ सिद्दिका के जिंदा रहने लायक खाने की भी व्यवस्था करे. सिद्दिका ट्रेन पर चढ़ने में डरती है. गांव छोड़ कर निकलते ही भीड़ उसे घेर लेती है. उसकी तसवीर लेने के लिए आपाधापी शुरू हो जाती है. इसलिए सिद्दिका चाहती है कि उसे इंजेक्शन देने की व्यवस्था उसके घर पर ही की जाये.

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