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मालदा में अफीम की खेती रोकने के लिए बड़ी तैयारी

मालदा. पोस्ते (अफीम) की गैरकानूनी खेती पूरी तरह बंद करने के लिए मालदा जिला पुलिस और प्रशासन ने कमर कस ली है. शुक्रवार को मालदा कॉलेज आडिटोरियम में इसे लेकर जिला अधिकारी शरद द्विवेदी और पुलिस अधीक्षक अर्णव घोष ने उच्च स्तरीय बैठक की. इस बैठक में संबंधित थानों के अधिकारी, भूमि एवं भूमि सुधार […]

मालदा. पोस्ते (अफीम) की गैरकानूनी खेती पूरी तरह बंद करने के लिए मालदा जिला पुलिस और प्रशासन ने कमर कस ली है. शुक्रवार को मालदा कॉलेज आडिटोरियम में इसे लेकर जिला अधिकारी शरद द्विवेदी और पुलिस अधीक्षक अर्णव घोष ने उच्च स्तरीय बैठक की. इस बैठक में संबंधित थानों के अधिकारी, भूमि एवं भूमि सुधार विभाग के अधिकारी और त्रिस्तरीय ग्राम पंचायत के सदस्य उपस्थित थे. आम तौर पर नवंबर महीने से पोस्ते की गैरकानूनी खेती शुरू होती है. खरीफ की फसल कटने के बाद इस समय खेतों में पोस्ते के बीज डाले जाते हैं. जिला पुलिस और प्रशासन इस बार शुरू से ही पोस्ते की अवैध खेती पर लगाम लगाना चाहते हैं.
15 नवंबर तक संबंधित इलाकों के ग्राम पंचायत सदस्यों को मुचलका देकर यह घोषणा करनी होगी कि इस बार उनके इलाके में पोस्ते की अवैध खेती नहीं हो रही है. यह निर्देश जिला अधिकारी ने जारी किया है. बैठक के दौरान जिला अधिकारी श्री द्विवेदी ने कहा कि मालदा में बीते कई सालों से पोस्ते की गैरकानूनी खेती हो रही है. पिछले साल हमने देखा है कि किस इलाके में पोस्ते की कितनी अवैध खेती होती है. जिला प्रशासन की ओर से कहां-कहां ढिलाई रही है, यह भी चिह्नित किया गया है. हमने ग्राम पंचायत सदस्यों से कहा है कि आप लोगों को भी भूमि राजस्व विभाग के कर्मचारियों को सजग रखना होगा. इलाके में नजरदारी बढ़ानी होगी. उन्होंने कहा कि मालदा में दो हजार से ऊपर ग्राम पंचायत सदस्य हैं. इनमें से जो मुचलका नहीं देंगे, मान लिया जायेगा कि वे पोस्ते की गैरकानूनी खेती से जुड़े हुए हैं. और जो लोग भी इससे जुड़े पाये जायेंगे, उनके खिलाफ कानून के मुताबिक कार्रवाई की जायेगी. इसके साथ ही भूमि राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के कर्मचारियों को भी रिपोर्ट देनी होगी कि उनके इलाके में पोस्ते की गैरकानूनी खेती नहीं हो रही है. जहां भी इस तरह की खेती हो, जमीन मालिकों को चिह्नित करने की जिम्मेदारी उनकी होगी. हर ब्लॉक में नियुक्त रेवेन्यू इंस्पेक्टर को इस बारे में प्रशासन को सूचित करना होगा. अगर 100 फीसदी निगरानी रखी जाती है, तो किसी भी सूरत में पोस्ते की गैरकानूनी खेती संभव नहीं हो पायेगी.

रेवेन्यू इंस्पेक्टरों और संबंधित इलाकों की ग्राम संसद से मुचलका मिलने के बाद, 20 नवंबर से जिले के अधिकारी यह देखने जायेंगे कि पोस्ते की खेती हो रही है या नहीं.आबकारी विभाग के सूत्रों ने बताया कि जिले भर में पोस्ते की अवैध खेती होने का मुख्य कारण यह है कि इसमें सिर्फ तीन महीने के अंदर दुगना लाभ होता है. एक बीघे की खेती में 35 हजार रुपये का खर्च आता है. आम तौर पर एक बीघे में तीन किलो अफीम निकलती है, जिसका प्रति किलो मूल्य 50-60 हजार रुपये होता है. किसी दूसरी फसल में इतनी कमाई नहीं होती.बैठक के दौरान कालियाचक एक नंबर ब्लॉक की मोजामपुर ग्राम पंचायत के भूमि सहायक अमित कुमार दास ने कहा कि उनके इलाके में बीते साल बड़े पैमाने पर पोस्ते की गैरकानूनी खेती हुई थी. लेकिन इस साल अभी पोस्ते की खेती शुरू हुई है या नहीं, यह कह पाना संभव नहीं है. खेतों में कृषि कार्य चल रहा है. लेकिन कौन सी फसल बोई जा रही है, इस बारे में धर-पकड़ कर पाना हमारे लिए संभव नहीं है.

कालियाचक तीन नंबर ब्लॉक के रेवेन्यू इंस्पेक्टर तन्मय मौलिक ने कहा कि मैं चरिअनंतपुर ग्राम पंचायत में काम करता हूं. वहां मेरे साथ कोई कर्मचारी नहीं है. अकेले यह सब काम देख पाना मेरे लिए संभव नहीं है. और फिर हम राजस्व की रसीद काटेंगे या फिर पोस्ते की खेती देखने जायेंगे. भूमि राजस्व विभाग के अधिकारियों के इस सवाल के जवाब में जिला अधिकारी ने कहा कि जिसका जो काम है वही करेगा. यानी रसीद काटेगा. लेकिन साथ ही उसे पोस्ते की खेती पर भी नजर रखनी होगी.जिला अधिकारी ने बैठक में कहा कि मालदा जिले में बीते साल 12 हजार 259 बीघा जमीन पर पोस्ते की अवैध खेती हुई थी.
पुलिस और आबकारी विभाग ने इस संबंध में 132 केस दर्ज किये. 12 लोगों की गिरफ्तारी हुई. इस साल हमने मालदा जिले में पोस्ते की अवैध खेती पूरी तरह बंद कराने की पहलकदमी ली है. पुलिस अधीक्षक अर्णव घोष ने कहा कि खेती के शुरुआती समय में ही इस बार पुलिस नजर रखे हुए है. साथ ही पोस्ते की गैरकानूनी खेती रोकने के लिए इस बार ड्रोन कैमरे का भी इस्तेमाल किया जायेगा.

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