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कोणार्क के पास मिले चंद्रभागा के साक्ष्य
कोलकाता : वैज्ञानिकों कोे यूनेस्को के विश्व विरासत स्थलों की सूची में शामिल कोणार्क के सूर्य मंदिर के पास पौराणिक चंद्रभागा नदी की मौजूदगी के साक्ष्य मिले हैं. कोणार्क का यह मंदिर ओड़िशा की राजधानी भुवनेश्वर में स्थित है. आइआइटी खड़गपुर के भूवैज्ञानिकों और समाज विज्ञानियों के एक दल ने हाल ही में पता लगाने […]
कोलकाता : वैज्ञानिकों कोे यूनेस्को के विश्व विरासत स्थलों की सूची में शामिल कोणार्क के सूर्य मंदिर के पास पौराणिक चंद्रभागा नदी की मौजूदगी के साक्ष्य मिले हैं. कोणार्क का यह मंदिर ओड़िशा की राजधानी भुवनेश्वर में स्थित है. आइआइटी खड़गपुर के भूवैज्ञानिकों और समाज विज्ञानियों के एक दल ने हाल ही में पता लगाने के लिए वैज्ञानिक अध्ययन किया था कि क्या प्राचीन नदी राजा नरसिंहदेव द्वारा निर्मित 13वीं सदी के मंदिर के पास होती थी या नहीं? वैज्ञानिकों ने विभिन्न उपग्रहों की तसवीरों का इस्तेमाल किया. फिर नदी की धारा की पहचान करने और उसका मार्ग पता लगाने के लिए अन्य क्षेत्रीय आंकड़ों का इस्तेमाल किया. माना जाता है कि यह नदी विलुप्त हो चुकी है.
क्या है पलेआेचैनल : पलेओचैनल निष्क्रिय पड़ चुकी नदी या धारा का अवशेष है, जो तलछट से भर गयी है. यह पलेओचैनल कोणार्क सूर्य मंदिर के उत्तर से होकर गुजरती है. तट के लगभग समानांतर जाती है. ऐसा माना जाता है कि मंदिर चंद्रभागा के मुहाने पर बना था, हालांकि यह साबित नहीं हुआ कि नदी उस समय भी बहती थी. नदी का जिक्र प्राचीन साहित्य में मिलता है लेकिन कोणार्क मंदिर के आसपास इस समय कोई नदी नहीं है. पत्तों पर उकेरी गयी आकृतियां, कलाकृतियां और पुरानी तस्वीरें भी मंदिर के आसपास जलस्रोतों की मौजूदगी की ओर संकेत करते हैं.
‘उपग्रह की तसवीरों से क्षेत्र का हवाई परीक्षण लुप्त हो चुकी नदी का मार्ग दिखाता है. इसके बिना क्षेत्र में इसकी पहचान करना मुश्किल है. जमीन भेद कर जानकारी निकाल सकनेवाले रडार के इस्तेमाल के लिए एक पलेओचैनल की भी पहचान की गयी.
विलियम मोहंती,प्रोफेसर, जियोफिजिक्स
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