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सेवानिवृत्त शिक्षकों व स्कॉलरों के लिए अनुबद्ध प्रोफेसरशिप शुरू होगी
जादवपुर व कलकत्ता यूनिवर्सिटी ने यूजीसी को प्रस्ताव भेजा कोलकाता : जादवपुर व कलकत्ता यूनिवर्सिटी राज्य के पहले दो ऐसे विश्वविद्यालय हैं, जो यूजीसी द्वारा वर्ष 2008 में शुरू की गयी अनुबद्ध प्रोफेसरशिप प्रणाली को यहां लागू करेंगे. अनुबद्ध प्रोफेसरशिप प्रणाली में उन सेवानिवृत्त शिक्षकों, स्कॉलरों, अनुसंधानकर्ता व ब्यूरोक्रेट्स को रखा जायेगा, जो असाधारण प्रतिभा […]
जादवपुर व कलकत्ता यूनिवर्सिटी ने यूजीसी को प्रस्ताव भेजा
कोलकाता : जादवपुर व कलकत्ता यूनिवर्सिटी राज्य के पहले दो ऐसे विश्वविद्यालय हैं, जो यूजीसी द्वारा वर्ष 2008 में शुरू की गयी अनुबद्ध प्रोफेसरशिप प्रणाली को यहां लागू करेंगे. अनुबद्ध प्रोफेसरशिप प्रणाली में उन सेवानिवृत्त शिक्षकों, स्कॉलरों, अनुसंधानकर्ता व ब्यूरोक्रेट्स को रखा जायेगा, जो असाधारण प्रतिभा के धनी हैं अथवा जिन्होंने अपने कार्यकाल में रहते हुए शिक्षा के क्षेत्र में कुछ विशेष काम किया हो. यह योजना यूजीसी ने 2008 में शुरू की थी. इस योजना के तहत यूनिवर्सिटी अनुबद्ध प्रोफेसर की नियुक्ति अपने यहां कर सकती है. इस पद के लिए नियुक्ति तीन महीने से तीन साल तक के लिए हो सकती है.
यह जानकारी जादवपुर यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर प्रो सुरंजन दास ने दी है. उनका कहना है कि यह पद कुछ खास सेवानिवृत्त टीचर्स, स्कॉलर्स, शिक्षाविद व ब्यूरोक्रेट्स को ऑफर किया जायेगा. अगले शैक्षणिक सत्र से यह प्रणाली शुरू की जायेगी. ऐसे शिक्षक व स्कॉलर रिटायर्ड होने के बाद यहां आकर अध्यापन करवा सकते हैं. हालांकि कुछ यूनिवर्सिटी में फैकल्टी एक्सचेंज करने के लिए इस तरह की प्रणाली अपनायी जाती है, ताकि इनके अनुभवों का लाभ लिया जा सके. उनका कहना है कि हम अक्सर इंटरनेशनल लिंकेज की बात करते हैं, अगर इस प्रणाली को राष्ट्रीय स्तर पर डेवलप किया जाता है, तो टीचिंग-लर्निंग व रिसर्च प्रक्रिया पर काफी फर्क पड़ेगा. इसी को ध्यान में रख कर यूजीसी ने 2008 में इसे शुरू किया था.
इसके तहत एक यूनिवर्सिटी किसी प्रसिद्ध स्कॉलर को अनुबद्ध पद ऑफर कर सकती है. वे किसी अन्य यूनिवर्सिटी में जाकर अध्यापन, लर्निंग व रिसर्च प्रक्रिया में योगदान या उसकी गुणवत्ता को सुधार सकते हैं, जिससे कि राष्ट्रीय स्तर पर शैक्षणिक उत्कृष्टता को बढ़ाया जा सके. इस योजना के लिए यूजीसी फंड भी देगा. इसमें अनुबद्ध प्रोफेसरों के लिए पे स्केल व उनका कार्यकाल यूजीसी द्वारा तय किया जायेगा. होस्ट यूनिवर्सिटी को ऐसे पद पर नियुक्ति के लिए यूजीसी में आवेदन भेजना होगा. यूजीसी के नियम के अनुसार इसके लिए एक कमेटी गठित की गयी है, कमेटी में संबंधित यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर व अन्य सदस्य रहते हैं.
यह कमेटी संबंधित विभागों द्वारा भेजे गये प्रस्तावों की जांच करेगी. इसके बाद ही स्वीकृति मिलने पर यूनिवर्सिटी ऐसे सेवानिवृत्त विद्वानों को रख सकती है. इस पद पर प्रत्येक लेक्चर के लिए आवेदक या प्रोफेसर को 1000 से लेकर 4,000 रुपये तक मेहनताना दिया जायेगा. इस प्रकार महीने में उन्हें 50-70 हजार तक मेहनताना मिल सकता है.
अनुबद्ध फैकल्टी होस्ट संस्थान में सप्ताह के कम से कम दो दिन काम करेगी. अनुबद्ध प्रोफेसर प्रणाली के लिए सीयू के सिंडिकेट में अनुमोदन के बाद प्रस्ताव भेज दिया गया है. जेयू में अभी एक प्रस्ताव बनाया गया है. इसको यूजीसी में भेजने से पहले कार्यकारी काउंसिल में पेश किया जायेगा. इसी विषय पर बातचीत के लिए कलकत्ता यूनिवर्सिटी में 27 अक्तूबर को एक बैठक आयोजित की गयी है.
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