अन्य दिनों की तुलना में शुक्रवार को राज्य में करीब 710 मेगावाट बिजली की मांग में कमी आयी. शिल्पांचल इलाकों में भी इसका असर रहा, जबकि असंगठित क्षेत्रों से जुड़े श्रमिकों ने हड़ताल का व्यापक रूप से समर्थन किया.
हड़ताल के पक्ष में वामपंथी दलों और श्रमिक संगठनों की ओर से निकाली गयी रैलियों में बाधा पहुंचाने की कोशिश की गयी. सिलीगुड़ी के मेयर अशोक भट्टाचार्य समेत कई वामपंथी नेताओं को गिरफ्तार किया गया. हाइकोर्ट के अनुसार हड़ताल करने में कोई समस्या नहीं है. यह लोगों का नैतिक अधिकार है. हड़ताल का समर्थन किया जा सकता है और विरोध भी. लेकिन हड़ताल का समर्थन करने वालों पर हमला किया जाना और हड़ताल को जबरन विफल करने की कोशिश क्या सही है? उपरोक्त मुद्दे पर सीटू समेत 10 केंद्रीय श्रमिक संगठनों के नेताओं ने कहा है कि हड़ताल को विफल करने के लिए तृणमूल सरकार की कोशिश के खिलाफ संभवत: वे अदालत से गुहार लगा सकते हैं. फिलहाल इस बारे में संगठन वरिष्ठ अधिवक्ताओं की राय ले रहे हैं.