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इलाज खर्च नहीं दिया तो शव देने से किया इनकार

स्थानीय पार्षद के हस्तक्षेप से परिजनों को मिला शव कोलकाता : महानगर के निजी अस्पताल का अमानवीय चेहरा एक बार फिर सामने आया है. अस्पताल ने इलाज का पूरा खर्च नहीं देने पर परिजनों को शव सौंपने से इनकार कर दिया. यह मामला ईएम बाइपास स्थित एक निजी अस्पताल का है. मरीज के एक परिजन […]

स्थानीय पार्षद के हस्तक्षेप से परिजनों को मिला शव
कोलकाता : महानगर के निजी अस्पताल का अमानवीय चेहरा एक बार फिर सामने आया है. अस्पताल ने इलाज का पूरा खर्च नहीं देने पर परिजनों को शव सौंपने से इनकार कर दिया.
यह मामला ईएम बाइपास स्थित एक निजी अस्पताल का है. मरीज के एक परिजन बापी दे ने बताया कि डेंगू की शिकायत पर तीन अगस्त को पल्लवी दास (28) को अस्पताल में भरती कराया गया था. वह कसबा के 107 नंबर वार्ड की रहनेवाली थी. कई दिनों तक चले इलाज के बावजूद उसकी सेहत में सुधार नहीं हुआ. चिकित्सक ने पल्लवी के परिवार वालों को बताया कि डेंगू के कारण वह काफी कमजोर हो गई है. उसके गले का ऑपरेशन करना होगा.
परिजन सर्जरी के लिए तैयार हो गये. ऑपरेशन के बाद मरीज को कुछ दिन के लिए आइसीयू में रखा गया. परिजनों को शनिवार को जानकारी दी गई की मरीज को ब्रेन स्ट्रोक हुआ है. अब उसे बचाना काफी मुश्किल है. उसे एक बार फिर आइसीयू में स्थानांतरित कर दिया गया है. रविवार सुबह 8.20 बजे पल्लवी की मौत हो गई.
इसके बाद अस्पताल प्रबंधन ने परिजनों को करीब 13 लाख रुपये का बिल थमा दिया. घरवाले करीब साढ़े आठ लाख रुपये का भुगतान कर चुके थे. अस्पताल प्रबंधन ने शव सौंपने से पहले शेष खर्च जमा करने को कहा. ऐसा नहीं करने पर शव देने से इनकार कर दिया. इसके बाद 107 नंबर वार्ड के पार्षद और 12 नंबर बोरो के चेयरमैन सुशांत कुमार घोष की मदद से पल्लवी के परिजनों को अस्पताल प्रबंधन शव देने को तैयार हुआ.

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