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केंद्र के फंड से प्रशासनिक बैठक कर रही हैं ममता : दिलीप घोष
कोलकाता. केंद्र सरकार द्वारा पश्चिम बंगाल को विभिन्न योजनाओं के तहत दिये जा रहे फंड का दुरुपयोग हो रहा है. केंद्र सरकार के फंड को यहां खेल-कूद व क्लबों को चंदा देने में खर्च किया जा रहा है. यहां तक कि मुख्यमंत्री द्वारा विभिन्न जिलों में आयोजित की जा रही प्रशासनिक बैठक में भी केंद्र […]
कोलकाता. केंद्र सरकार द्वारा पश्चिम बंगाल को विभिन्न योजनाओं के तहत दिये जा रहे फंड का दुरुपयोग हो रहा है. केंद्र सरकार के फंड को यहां खेल-कूद व क्लबों को चंदा देने में खर्च किया जा रहा है. यहां तक कि मुख्यमंत्री द्वारा विभिन्न जिलों में आयोजित की जा रही प्रशासनिक बैठक में भी केंद्र सरकार के फंड का प्रयोग हो रहा है. यही कारण है कि इन फंडाें को खर्च करने को लेकर केंद्र सरकार जो पारदर्शिता लाना चाहती है, पश्चिम बंगाल सरकार उसका विरोध कर रही है.
यह बातें सोमवार को प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने प्रदेश कार्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहीं. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार अगर योजनाओं के लिए राशि दे रही है तो उसे पूरा अधिकार है कि वह इस पर नजरदारी रखे कि राशि कहां खर्च हो रही है. केंद्र सरकार ब्लॉक स्तर पर अधिकारी नियुक्त करना चाहती है तो योजनाओं के खर्च पर नजरदारी रखेेगी, लेकिन पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसका विरोध किया है.
श्री घोष ने कहा कि पिछले दिनों आयकर विभाग ने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में बंगाल में लगभग छह लाख करोड़ रुपये लेन-देन बेनामी तरीके से हुआ, जिसमें पैन कार्ड का प्रयोग नहीं किया गया है. वहीं, एक तृणमूल नेता का भी नाम है, जिसने लगभग 345 करोड़ रुपये का लेन-देन किया है. अगर ऐसा है तो मुख्यमंत्री मीडिया के सामने न बोल कर, कोर्ट का रास्ता अपना सकती हैं.
वहीं, मुख्यमंत्री का कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने कहा था कि नरेंद्र मोदी की सरकार में भारतवर्ष स्वाधीन नहीं है तो क्या ममता बनर्जी के कार्यकाल में बंगाल स्वाधीन है. श्री घोष ने कहा कि ममता बनर्जी ने बंगाल में पांच सालों तक एक अराजक सरकार की अध्यक्षता की है. अतएव मोदी सरकार को तानाशाह कहना सच्चाई से दूर है. उन्होंने दावा किया कि ममता बनर्जी को संघीय ढांचा में मोदीजी के विश्वास का शुक्रगुजार होना चाहिए, क्योंकि इसी वजह से बंगाल को 14वें वित्त आयोग के तहत 3,59,406 करोड़ रुपए मिले, जो 13वें वित्त आयोग द्वारा प्रदत्त राशि से 2,52,206 करोड़ से ज्यादा है. उन्होंने कहा कि केंद्र की योजनाओं का नाम बदलना संघीय ढांचे के प्रति असम्मान है और इसे तानाशाह का शासन कहा जाता है.
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