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महानगर पर एक अनजाने वायरस का साया
कोलकाता: राज्य में डेंगू का प्रकोप जारी है. ऐसे में महानगर में एक अनजाने वायरस ने प्रशासन की नींद उड़ा दी है. यह वायरस ज्यादातर बच्चों को अपना निशाना बना रहा है. अनजाने वायरस का पता लगाना चिकित्सकों के समक्ष टेढ़ी खीर साबित हो रहा है क्योंकि इसके लक्षण डेंगू जैसे ही हैं लेकिन यह […]
कोलकाता: राज्य में डेंगू का प्रकोप जारी है. ऐसे में महानगर में एक अनजाने वायरस ने प्रशासन की नींद उड़ा दी है. यह वायरस ज्यादातर बच्चों को अपना निशाना बना रहा है. अनजाने वायरस का पता लगाना चिकित्सकों के समक्ष टेढ़ी खीर साबित हो रहा है क्योंकि इसके लक्षण डेंगू जैसे ही हैं लेकिन यह डेंगू नहीं है. कीट विशेषज्ञों के अनुसार इसका नाम ‘माइट’ है. इस अनजान वायरस के कारण होनेवाले बुखार का नाम ‘स्क्रब टाइफस’ है.
अनजाने वायरस से जूझ रहा सोमी
कोलकाता का रहनेवाला सात वर्षीया सोमी साह अनजाने वायरस का शिकार है. उसका इलाज महानगर के पार्क सर्कस स्थित इंस्टिट्यूट ऑफ चाइल्ड हेल्थ में जारी है. संक्रमण की चपेट में आने के कारण सोमी के रक्त का प्लेटलेट स्तर 3 लाख से घट कर मात्र 20 हजार पर पहुंच गया था. मामले को गंभीरता से लेते हुए निगम उपरोक्त संक्रमण के संबंध में जानकारी जुटाने के लिए स्वास्थ्य विभाग व महानगर के प्रसिद्ध वरिष्ठ पेडियाट्रिक विशेषज्ञ चिकित्सकों के संपर्क में है. मेयर परिषद सदस्य अतिन घोष ने बताया कि यह एक न फैलनेवाली बीमारी है. इसके लक्षण डेंगू से मिलते-जुलते हैं, इसलिए इसके शिकार बच्चों अथवा शिशुओं को डेंगू से पीड़ित मान लिया जाता है. उन्होंने बताया कि शहर में काफी कम ऐसे अस्पताल है जहां इसकी जांच की व्यवस्था है है. हालांकि इस बीमारी का पूरी तरह से इलाज संभव है.
इन अस्पतालों में जांच की व्यवस्था
महानगर के मात्र तीन अस्पतालों में इस संक्रमण के जांच की व्यवस्था है. इसमें स्कूल ऑफ ट्रॉपिकल मेडिसीन, अपोलो हॉस्पिटल व इंस्टिट्यूट ऑफ चाइल्ड हेल्थ शामिल है. उन्होंने बताया कि इस संक्रमण के संबंध में जानकारी जुटाने का कार्य जारी है. बहुत जल्द निगम के विभिन्न प्राथमिक जांच केंद्रों के लैब में स्क्रब टाइफस के जांच की व्यवस्था कर ली जायेगी.
स्क्रब टाइफस के लक्षण
निगम के मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी मनिरुल इसलाम मोल्ला ने बताया कि स्क्रब टाइफस की चपेट में आने वाले शिशुओं को तेज बुखार, सिरदर्द, बदन दर्द, शरीर पर लाल धब्बे के साथ प्लेटलेट व एनएसवन के कम होने की समस्या देखी जाती है. इन समस्याओं के देखे जाने पर हमें लगता है कि बच्चा डेंगू की चपेट में है.
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