कोलकाता. पश्चिम बंगाल के अवर पुलिस महानिदेशक तथा हिंदी के सुपरिचित गायक, कवि व अनुवादक मृत्युंजय कुमार सिंह ने शुक्रवार को महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के कोलकाता केंद्र में अपने भोजपुरी उपन्यास ‘गंगारतन विदेशी’ के स्वाधीनता संग्राम से जुड़े एक अंश का पाठ किया. हिंदी विश्वविद्यालय में पाठ करते हुए श्री सिंह ने वह कथा सुनाई कि कैसे बैरिस्टर गांधी पहले सुधारक और भारत आकर स्वाधीनता के महान सेनानी गांधी बाबा बन गये.
मृत्युंजय कुमार सिंह ने गांधी बाबा के दक्षिण भारत से आते ही पहले गोपाकृष्ण गोखले व रवींद्रनाथ ठाकुर से उनके मिलने व साबरमती आश्रम के निर्माण की कथा सुनाई. उपन्यास अंश का वह मार्मिक अंश भी श्री सिंह ने सुनाया कि 14 अगस्त 1947 को जब आजादी मिलने पर सभी सत्याग्रही अपने घरों को लौट रहे थे तो गांधी के सान्निध्य में पले-बढ़े और स्वाधीनता संग्राम में भूमिका निभानेवाले रतनदुलारी नामक सत्याग्रही दिल्ली के इंडिया गेट में बैठे-बैठे सोच रहा था कि वह कहां जाये. उसका तो कोई घर ही नहीं है.
इसी बीच वहां पुलिस आयी और रतनदुलारी को वहां से हट जाने को कहा. वहां स्वाधीनता के उत्सव की तैयारी शुरू होनी थी, तभी वहां पौधों में पानी दे रहे माली ने कहा कि अरे रहम करो, चला जायेगा. भिखारी होगा. अपने आप चला जायेगा. इस पर रतन दुलारी सोचता है कि उसने स्वाधीनता संग्राम में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया और उसे भिखारी बताया जा रहा है. रचना पाठ के बाद डाॅ विवेक कुमार सिंह तथा मयंक ने उस पर टिप्पणियां की. रचना पाठ के आरंभ में कवि राकेश श्रीमाल ने सूत की माला पहना कर तथा अंगवस्त्रम ओढ़ा कर मृत्युंजय कुमार सिंह का सम्मान किया. कार्यक्रम का संचालन कोलकाता केंद्र के प्रभारी डाॅ कृपाशंकर चौबे ने किया.