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उपेक्षा के कारण भटक रहे टीनएजर्स

स्कूलों में अभिभावकों के लिए की जा रही है विशेष बैठक व काउंसेलिंग बच्चों को पैसा देने या ट्यूशन पर भेजने से पहले सतर्क रहें कोलकाता. प्रतिस्पर्धा के दाैर में माता-पिता का प्यार और समय नहीं मिलने के कारण टीनएजर्स भटक रहे हैं. नौकरी की वजह से माता-पिता अपने बच्चों के साथ समय नहीं बिता […]

स्कूलों में अभिभावकों के लिए की जा रही है विशेष बैठक व काउंसेलिंग

बच्चों को पैसा देने या ट्यूशन पर भेजने से पहले सतर्क रहें

कोलकाता. प्रतिस्पर्धा के दाैर में माता-पिता का प्यार और समय नहीं मिलने के कारण टीनएजर्स भटक रहे हैं. नौकरी की वजह से माता-पिता अपने बच्चों के साथ समय नहीं बिता पा रहे हैं. प्यार की चाह में बच्चे दोस्तों और फेसबुक का सहारा ले रहे हैं. ऐसे में धोखा मिलने पर वे कुंठित होकर गलत काम कर बैठते हैं. यह मानता है स्कूल के प्रिंसिपलों एवं विशेषज्ञों का. आवेश वाली घटना के बाद अभिभावक और प्रिंसिपल सकते में हैं. इस मुद्दे पर स्कूलों में लगातार बैठक की जा रही है. चर्च ऑफ नॉर्थ इंडिया (सीएनआइ) ने स्कूलों को विशेष ताैर पर यह निर्देश भेजा है कि बच्चों एवं अभिभावकों के लिए सामाजिक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन करें.

बिशप ऑफ कोलकाता सेवानिवृत्त रेवरन अशोक विश्वास ने कहा कि हमारे स्कूलों में बच्चों को सामाजिक व भावनात्मक रूप से मजबूत बनाने के लिए एक विशेष सत्र आयोजित किया जाता है. कुछ मिशनरी स्कूलों में बच्चों को चैरिटी के कामों से भी जोड़ा जा रहा है, ताकि उनमें किसी जरूरतमंद की सहायता करने का मूल्यबोध विकसित हो. ला मार्टिनियर फॉर ब्वायज एंड गर्ल्स, प्रैट मेमोरियल, सेंट जेम्स, क्रिस्ट चर्च स्कूल सीएनआइ द्वारा मैनेज किये जाते हैं. ला मार्टिनियर पहले ही इस तरह के विशेष सत्र चला रहा है. अब दूसरे स्कूल इसी का अनुसरण कर रहे हैं.

ऑक्सफर्ड हाइ स्कूल के रेक्टर एससी दूबे का कहना है कि उनके स्कूल में नियमित ताैर पर माता-पिता की काउंसेलिंग की जाती है. आज बच्चे एवं अभिभावक के बीच दूरियां काफी बढ़ गयी हैं. नतीजा यह है कि प्यार पाने के लिए बच्चे बाहर की तरफ जा रहे हैं. जब धोखा खाते हैं तो हिंसक हो जाते हैं या गलत काम कर बैठते हैं. यह बहुत खतरनाक संकेत है. बच्चों को भरपूर प्यार देना बहुत जरूरी है.

बीडीएम इन्टरनेशनल स्कूल की प्रिंसिपल विजया चाैधरी का कहना है कि केवल आवेश की घटना को लेकर स्कूल सावधान हो जायें, यह तो कोई तर्क नहीं है. हमारे स्कूल में लगातर पैरेंट्स की मीटिंग होती है.

अभी लगातार 14 दिनों तक अभिभावकों के साथ कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है. उन्हें यह बताया जा रहा है कि बच्चों को पैसा देने या ट्यूशन पर भेजने से पहले सतर्क रहें. वे निश्चित होकर बैठ न जाएं. उन पर नजर रखें. बच्चे कहां जा रहे हैं, कैसे जीवन बिता रहे हैं, इस पर निगरानी जरूर रखें. स्कूल में न केवल बच्चों के लिए बल्कि उनके अभिभावकों के लिए भी काउंसेलिंग शुरू की जा रही है.

कई तरह से बच्चों को खुश रखने की तकनीक बतायी जा रही है. कुछ स्कूल रीओरियेंट मोरल साइंस की कक्षाएं लेने पर भी जोर दे रहे हैं. साथ ही शिक्षिकाओं को भी बच्चों में अनुशासन के साथ नैतिकता व सामाजिक जिम्मेदारी के लिए तैयार करवाने की ट्रेनिंग दी जा रही है.

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