इसमें स्कूल की भी जिम्मेदारी है. बस मालिकों को चालकों का रजिस्ट्रेशन पुलिस में करवाने की हिदायत दी जा रही है. साथ ही अभिभावकों को भी आगाह किया जा रहा है कि वे पूलकार चालकों के सही कागजात देखें. उनका पंजीकरण पुलिस में करवाया गया है कि नहीं, यह भी जांच करवा लें. हाल ही में राज्य के ट्रांसपोर्ट मंत्री शुभेंदु अधिकारी ने स्कूल बसों में स्पीड लिमिटर्स लगाने की भी हिदायत दी है. बच्चों को स्कूल ले जानेवाले स्कूल वाहनों को एक सीमित स्पीड में वाहन चलाने की सलाह दी जा रही है.
31 जुलाई तक ऐसे वाहन चालकों को स्पीड लिमिटर्स लगाने होंगे. साथ ही इन वाहनों को 31 सतंबर तक जीपीएस लगाने के भी निर्देश दिये गये हैं. इस फरमान को लेकर स्कूल में सेवाएं देनेवाले वाहन मालिकों, ड्राइवरों व कारपूल चालकों में हड़कंप मचा हुआ है. हाल की घटनाओं के बाद स्कूल प्रशासन व ट्रांसपोर्ट सुविधा देनेवाली कंपनियों पर भी कड़ाई की जा रही है.
कुछ प्रिंसिपल का कहना है कि वे सर्टिफायड बस चालकों को ही रखते हैं. उनके पूरे कागजातों की जांच की जाती है. फिर भी पुलिस के आदेश के बाद उन पर नजर रखी जा रही है. वहीं कुछ अभिभावकों का कहना है कि वे अपने स्तर पर ही गाड़ी की व्यवस्था करवाते हैं, स्कूल की तरफ से बस नहीं है. उनको पूलकार चालकों पर ही निर्भर रहना पड़ता है. अब कई बैठकों के बाद हम भी सावधान हो गये हैं. स्कूल में पैरेंट्स की भी काउंसेलिंग की जा रही है.