कोलकाता. गुरु जीवन को मार्गदर्शन प्रदान करता है इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को गुरु की आवश्यकता है जिससे हम कुछ सीखते हैं, वे सभी हमारे जीवन में गुरु के समान हैं क्योंकि गुरु हमें गुणों से परिचित कराता है. ये बातें सरस प्रवचनकर्ता, विद्या वाचस्पति आचार्य श्री सोहनलाल रामरंग ने गुरु महत्व पर बोलते हुए मंगलवार को जमुना भवन के पुष्कर सभागार में कहीं. नागरिक स्वास्थ्य संघ द्वारा आयोजित दो दिवसीय कथा आयोजन के पहले दिन कथा प्रेमियों को संबोधित करते हुए श्री सोहनलाल रामरंग ने कहा कि कथा सुनना ही सिर्फ पर्याप्त नहीं, कथा सुनकर उसकी चर्चा हम दूसरों से भी करें.
यह जरूरी है. जीवन में गुरु कैसा होना चाहिए. इसका ज्ञान हमें संतों के सान्निध्य से ही प्राप्त होता है. श्री सोहनलाल रामरंग ने कहा कि अपने बच्चों को सच्चा उत्तराधिकारी बनाओ. उन्हें उत्तम संस्कारों से सृजित करो क्योंकि उन्हें दिये गये आपके उत्तम संस्कार ही आपके जीवन मार्ग को प्रशस्त करेंगे. संवाद में कमी होने पर समस्या उत्पन्न होती है जिस पर विश्वास होता है. उससे प्रश्न नहीं किया जाता. सत्संग का स्थायीत्व भगवान की कथा में रुचि हो जाना है.
संत का पहला लक्षण विनम्रता है. संघ सभापति विट्ठलदास मूंधड़ा, सुरेंद्र अग्रवाल, गोकुल चंद चांडक, देवेंद्र भैया, नरेंद्र अग्रवाल, लक्ष्मी कुमार बियानी, शंकरलाल सोमानीव सीताराम अग्रवाल सहित अन्यों ने महाराजश्री का माल्यार्पण कर स्वागत किया. सत्यनारायण तिवारी ने गणेश वंदना और गुरु वंदना से कार्यक्रम का प्रारंभ किया. संघ प्रधानमंत्री महावीर प्रसाद रावत ने बताया कि बुधवार को सायं 6 बजे से महाराजश्री श्री हनुमत चरित पर प्रवचन देंगे. जगमोहन बागला, महेश भुवालका, सरला बिन्नानी, उमा धनानी, विकास चांडक, यादव कुमार चनानी, नंदकिशोर लखोटिया, बुलाकी मीमानी, संजय बिन्नानी आदि थे.
वेद प्रचार शिविर. पं. गोरखा महाराज वेद प्रचार संस्थान ने गुरु पूर्णिमा के अवसर पर बड़ाबाजार के मूंधड़ा धर्मशाला में वेद प्रचार शिविर लगाया. श्री भैरव रंगोली झालापट्टा मंडल ने इस शिविर का आयोजन किया. पं. दाऊलाल ओझा की देखरेख में आयोजित इस वेद प्रचार शिविर में उपस्थित पंडितों ने चार वेदों के विभिन्न ऋचाओं का पाठ किया.जिन्होंने वेद ऋचाओं का पाठ किया. उन्हें वेद गौरव अलंकरण से सम्मानित किया गया. शंकर आचार्य, राधेश्याम पुरोहित, मनीष पुरोहित,प्रभुदयाल छंगाणी, बुलाकीदास ओझा, गौरीशंकर छंगाणी, श्रीकांत छंगाणी आदि थे.