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आभूषण व्यवसाय को सरकार ने दी राहत
केंद्र सरकार ने उपसमिति की सिफारिशें स्वीकार की नयी दिल्ली/कोलकाता : आभूषण को उत्पाद शुल्क के दायरे में लाने का विरोध कर रहे सर्राफा कारोबारियों को मोदी सरकार ने बड़ी राहत दी है. अब गत वर्ष 15 करोड़ रुपयेसे कम का कारोबार करनेवाले ज्वैलर्स को उत्पाद शुल्क के लिए पंजीकरण कराने की जरूरत नहीं पड़ेगी. […]
केंद्र सरकार ने उपसमिति की सिफारिशें स्वीकार की
नयी दिल्ली/कोलकाता : आभूषण को उत्पाद शुल्क के दायरे में लाने का विरोध कर रहे सर्राफा कारोबारियों को मोदी सरकार ने बड़ी राहत दी है. अब गत वर्ष 15 करोड़ रुपयेसे कम का कारोबार करनेवाले ज्वैलर्स को उत्पाद शुल्क के लिए पंजीकरण कराने की जरूरत नहीं पड़ेगी.
पहले यह सीमा 12 करोड़ रुपये थी. साथ ही चालू वित्त वर्ष में 10 करोड़ रुपये से कम का कारोबार रहने तक ज्वैलर्स को उत्पाद शुल्क से छूट रहेगी. सरकार ने यह भी साफ किया है कि जॉब वर्कर (ज्वैलरी के कारीगरों) के यहां उत्पाद शुल्क के अधिकारी छापेमारी नहीं करेंगे. इसके अलावा सेंपल के तौर पर ज्वैलरी एक जगह से दूसरी जगह भेजने पर कोई उत्पाद शुल्क नहीं लगेगा और न ही उत्पाद शुल्क अधिकारी ट्रांजिट के दौरान ज्वैलरी चैक करेंगे.
वहीं पुरानी ज्वैलरी से नयी ज्वैलरी बनवाने पर ग्राहकों को सिर्फ वैल्यू एडीशन की राशि पर उत्पाद शुल्क का भुगतान करना होगा. वित्त मंत्रालय ने बुधवार को कहा कि सरकार ने ज्वैलर्स के साथ विचार विमर्श के लिए गठित की गयी उप समिति की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया है. मंत्रालय ने कहा कि सरकार ने समिति की उस सिफारिश को भी स्वीकार कर लिया है जिसके तहत एक करोड़ रुपये से कम ड्यूटी का भुगतान करने वाले ज्वैलर्स की इकाइयों का प्रथम दो वर्षों तक उत्पाद शुल्क का ऑडिट नहीं किया जायेगा.
मंत्रालय ने कहा कि सरकार ने उत्पाद शुल्क का पंजीकरण कराने के लिए जरूरी कारोबार की सीमा को भी बढ़ा दिया है. जिन ज्वैलर्स का कारोबार गत वित्त वर्ष में 15 करोड़ रुपये से कम था,उन्हेंउत्पाद शुल्क के लिए पंजीकरण लेने की आवश्यकता नहीं होगी. पहले यह सीमा 12 करोड़ रुपये थी.
इसी तरह जिन ज्वैलर्स का कारोबार मौजूदा वित्त वर्ष में 10करोड़ रुपये को पार करता है तो उन्हें उत्पाद शुल्क के लिए पंजीकरण कराना होगा. पहले यह सीमा 6 करोड़ रुपये थी. साथ ही अगर किसी ज्वैलर्स का कारोबार मार्च 2016 में 85 लाख रुपये से अधिक है तो उसे पंजीकरण कराने की जरूरत होगी. सरकार ने दस करोड़ की कारोबारी सीमा ज्वैलर्स की मांग पर लागू की है. इसकी कमेटी ने सिफारिश नहीं की थी.
उल्लेखनीय है कि वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आम बजट 2016-17 में ज्वैलरी पर एक प्रतिशत (इनपुट और कैपिटल गुड्स क्रेडिट के बिना) उत्पाद शुल्क लगाने का एलान किया था जिसका देशभर में ज्वैलर्स ने विरोध किया था. इसके बाद सरकार ने ज्वैलर्स की शिकायतों पर विचार करने के लिए हाई लेवल कमेटी की एक उप समिति गठित की थी जिसने अपनी रिपोर्ट 23 जूनको सरकार को सौंपी है. उच्चस्तरीय का गठन सरकार ने उद्योग जगत के साथ कर संबंधी मामलों पर चर्चा के लिए किया था.
सरकार के फैसले का स्वागत
ऑल इंडिया जेम्स एंड ज्वेलरी ट्रेडर्स फेडरेशन (जीजेएफ) के चेयरमैन जीवी श्रीधर ने कहा : जीजेएफ की आरे से हम रत्न व आभूषण उद्योग को सरकार के समर्थन की सराहना करते हैं. इससे व्यापार बढ़ेगा क्योंकि उद्योग को उत्पाद शुल्क लगाने के बारे में स्पष्टीकरण का इंतजार था.
इसके साथ ही उन्होंने सरकार से पैन कार्ड सीमा को मौजूदा 2 लाख रुपये से बढ़ाकर 10 लाख रुपये करने की अपील की. आरआर ज्वेलर्स के प्रमुख आरआर अग्रवाल ने भी सरकार के फैसले का स्वागत किया. जीजेएफ के निदेशक बछराज बामलवा ने कहा: सरकार ने इस व्यापार की बेहतरी के लिए अनेक महत्वूर्ण मुद्दों को स्वीकार कर लिया है. जीजेएफ के निदेशक अशोक मीनावाला ने कहा: सरकार ने उत्पाद शुल्क से जुडी अनेक प्रक्रियात्मक व अनुपालन बाधाओं को सरल बनाया है.
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