मुख्य मसला यह है कि राज्य में वामपंथी एकजुटता को लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है. वाम मोरचा खेमे के बाहर के वामपंथी दलों को आंदोलन में शामिल किये जाने को लेकर अस्पष्टता है. वाम मोरचा की प्रस्तावित रैली में भाकपा (माले) का समर्थन किये जाने को लेकर जब पार्टी के आला नेताओं से बात की गयी, तो उन्होंने साफ कर दिया कि जब तक कांग्रेस और वाम मोरचा के तालमेल की बात स्पष्ट नहीं हो जाती, तब तक कोई फैसला लेना मुश्किल है. पार्टी के पोलित ब्यूरो के सदस्य कार्तिक पाल ने कहा है कि कांग्रेस से तालमेल को लेकर माकपा का रवैया स्पष्ट नहीं है.
वाम मोरचा खेमे के अंदर ही इस मसले को लेकर खींचतान चल रही है. वामपंथी दलों और कांग्रेस की नीति में जमीन-आसमान का फर्क है. जब तक यह स्पष्ट नहीं हो जाता है कि वाम मोरचा कांग्रेस से तालमेल को आगे नहीं बढ़ायेगा, तब तक भाकपा (माले) उनके आंदोलनों में शामिल नहीं होगी. ऐसा रुख एसयूसीआइ का भी है.