आयोग के सूत्रों ने कहा कि सभी कैदी चाहे वे विचाराधीन हों या दोषी उन्हें मतदान का अधिकार नहीं होता. इस नियम के लिए मित्रा कोई अपवाद नहीं.
जनप्रतिनिधि कानून 1951 कहता है कि यदि कोई व्यक्ति जेल में सजा काटने या पुलिस हिरासत में हो, वह किसी चुनाव में मतदान नहीं कर सकता. हालांकि नियम कैदियों को तब तक उम्मीदवार बनने की इजाजत देता है जब तक कि वह अदालत द्वारा दोषी नहीं ठहरा दिये जाते. इस बीच मदन मित्रा की तबियत िबगड़ने की खबर आयी है. डॉक्टरों की टीम ने जेल में ही उनका इलाज किया पर अस्पताल में भरती होने की इजाजत नहीं दी.