कोलकाता. पूरा महानगर इन दिनों लू की चपेट में है. गरमी से लोग त्राही-त्राही कर रहे हैं. दक्षिण बंगाल एवं शिल्पांचल के जिलों की हालत तो आैर भी खराब है. पिछले 62 वर्षों में पश्चिम बंगाल ने ऐसी गरमी नहीं दिखी है.
अलीपुर मौसम विभाग का दावा है कि अप्रैल के महीने में पड़ रही इस शिद्दत की गरमी ने पिछले 62 वर्ष का रिकॉर्ड तोड़ डाला है. मौसम विभाग के अनुसार इस गरमी से फिलहाल राहत मिलने की कोई उम्मीद नहीं है. मौसम विभाग ने चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि अगले तीन दिनों तक राज्य इसी तरह लू की चपेट में बना रहेगा. मंगलवार को महानगर का तापमान 41.3 डिग्री सेलसियस दर्ज किया गया, जो स्वभाविक से पांच डिग्री अधिक था. शिद्दत की इस गरमी के कारण लोग घरों में दुबक से गये हैं
जरूरत पड़ने पर ही घर से बाहर निकलते हैं. शुष्क गरम हवा जैसे शरीर को झुलसा दे रही है. जिलों में तो जैसे कयामत सी आ गयी है. मंगलवार को वीरभूम में सबसे अधिक 46.3 डिग्री सेलसियस तापमान रिकॉर्ड किया गया, वहीं बांकुड़ा जिलो में पारा 44 तक जा पहुंचा है. मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि एल-निनो के प्रभाव के कारण गरमी अपना यह प्रचंड रूप दिखा रही है. लू से अब तक राज्य में कई लोगों की मौत हो चुकी है. मंगलवार को गरिया स्टेशन के पास लू से एक वृद्ध व्यक्ति की मौत हो गयी.
लू ग्रस्त के इलाज पर विशेष ध्यान देने का निर्देश
पश्चिम बंगाल इन दिनों जबरदस्त गरमी की चपेट में है. विशेष रूप से पश्चिम बंगाल के गांगेय इलाकों, दक्षिण बंगाल व शिल्पांचल में हालत सबसे बुरी है. इन इलाकों में लू ने लोगों का हाल बेहाल कर रखा है. गरमी की बढ़ती हुई शिद्दत एवं लू लगने की बढ़ती घटनाआें को देखते हुए राज्य स्वास्थ्य विभाग ने एक निर्देशिका जारी की है. इस निर्देशिका के तहत राज्य के सभी सरकारी अस्पतालों को लू ग्रस्त लोगों के इलाज पर विशेष ध्यान देने को कहा गया है. स्वास्थ्य विभाग द्वारा सभी सरकारी अस्पतालों व स्वास्थ्य केंद्रों को यह निर्देशिका भेज दिया गया है. निर्देशिका में कहा गया है कि अगर जरूरत पड़े तो लू से ग्रस्त व्यक्ति को अस्पताल में भर्ती कर उसका इलाज किया जायेगा. स्वास्थ्य विभाग ने अस्पतालों को जरूरी मात्रा में आेआरएस, स्लाइन एवं बर्फ के बैग रखने को भी कहा है.
तेज गरमी में बुखार बन रहा मौत का कारण
इस भीषण गरमी में आपको यदि बुखार के लक्षण बन रहे हैं तो सावधान रहने की सख्त जरुरत है. एनआरएस के प्रिंसिपल डॉ देवाशीष भट्टाचार्य ने बताया इस भीषण गरमी में बुखार मौत का कारण बन रहा है. एनआरएस अस्पताल में ऐसे कई मरीज आये हैं, जिन्हें गरमी के चलते बुखार आया और जब तक काबू किया गया तब तक वह दम तोड़ गये. उन्होंने बताया कि आजकल का बुखार एक साथ शरीर में प्रवेश करता है और कुछ समय के अंदर शरीर को तोड़ देता है. समय पर काबू न करने पर वह सिर में प्रवेश कर लेता है और सिर की नस फटने के कारण मौत हो जाती है. डॉ भट्टाचार्य ने बताया कि इस बुखार से बुजुर्ग व बच्चों को अधिक बचा कर रखना होगा. बुखार आने पर सिर पर भीगा कपड़ा रखते रहें. डॉक्टर की सलाह से दवा लें.