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मोदी मैजिक चलेगा क्या?
तारकेश्वर मिश्र प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को पश्चिम बंगाल में कुल तीन जनसभाआें को संबोधित किया. वाे दूसरी बार बंगाल के चुनावी दौरे पर आये थे. अपनी पहली चुनावी सभा करके जब वाे वापस लौटे तो राज्य में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस आैर िवपक्ष के नेताआें को ऐसा लगा जैसे कि मोदी केवल खानापूर्ति के […]
तारकेश्वर मिश्र
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को पश्चिम बंगाल में कुल तीन जनसभाआें को संबोधित किया. वाे दूसरी बार बंगाल के चुनावी दौरे पर आये थे. अपनी पहली चुनावी सभा करके जब वाे वापस लौटे तो राज्य में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस आैर िवपक्ष के नेताआें को ऐसा लगा जैसे कि मोदी केवल खानापूर्ति के लिए आये आैर गये.
पहली चुनाव सभा खड़गपुर में हुई थी, जहां प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष भी चुनाव के मैदान में अपना भाग्य आजमा रहे हैं. अगर भाजपा के कार्यकर्ताआें की मानें तो प्रधानमंत्री की चुनावी सभा से जिस प्रकार की ऊर्जा की आशा पार्टी के कार्यकर्ता कर रहे थे, वैसा कुछ भी नहीं हाे सका या थोड़ा बहुत ही हो सका.
दूसरी आेर मोदी के दौरे के बाद वामपंथी आैर कांग्रेस के नेताआें ने यह आरोप लगाना शुरू किया कि भारतीय जनता पार्टी आैर तृणमूल कांग्रेस के बीच जरूर कोई साठगांठ है आैर इसलिए ही मोदी ममता बनर्जी सरकार की कमियों को लेकर खुल कर नहीं बोल पा रहे हैं. परंतु, सात अप्रैल के अपने तूफानी चुनावी दौरे में नरेन्द्र मोदी ने अपने भाषणों के दौरान तृणमूल कांग्रेस आैर ममता बनर्जी की सरकार की हर छोटी-बड़ी कमी पर प्रहार किया.
सामान्य शब्दों में कहें तो मोदीजी से भाजपा के लोग िजस प्रकार की अपेक्षा कर रहे थे, उन्होंने उससे भी कहीं बढ़ कर आम जनता को सम्मोहित करने वाले भाषण िदये. कई राजनीतिक िवश्लेषकों का मानना है कि लोकसभा के लिए हुए िपछले चुनाव में नरेन्द्र मोदी ने िजस प्रकार अपने चुनावी भाषण से िवपक्ष को धराशायी किया था, इस बार बंगाल की तीन चुनाव सभाआें में उन्होंने उससे भी ज्यादा बेहतर अंदाज में लोगों को अपनी आेर खींचने का प्रयास किया है.
अपने भाषणों में नरेन्द्र मोदी ने िजस प्रकार ममता बनर्जी आैर तृणमूल कांग्रेस को आड़े हाथों लिया, उससे खास कर वामपंथी नेताआें के उस आरोप का जवाब भी िमल गया कि प्रधानमंत्री, तृणमूल आैर ममता बनर्जी की सरकार की गलतियों को नजरअंदाज कर रहे हैं. प्रदेश भाजपा की चुनाव कमान संभाल रहे नेता प्रधानमंत्री के इस दौरे से काफी उत्साहित नजर आ रहे हैं.
अब सवाल उठता है कि क्या लोकसभा चुनाव की ही तरह इस बार पश्चिम बंगाल िवधानसभा के चुनाव में भी ‘मोदी मैजिक’ चलेगा या फिर िबहार में हुए िवधानसभा के चुनाव की तरह यह बेअसर हो जायेगा. अगर हम इससे जुड़े पहलुआें पर ध्यान दें तो स्थिति कुछ स्पष्ट नजर आती है.
खासकर भारतीय जनता पार्टी के पश्चिम बंगाल संगठन की स्थिति, िवभिन्न सीटों पर दिये गये प्रत्याशियों की आेर से अब तक िकये गये कामकाज आैर सबसे महत्वपूर्ण बात है जनता के यह िवश्वास िदला पाना कि पश्चिम बंगाल में भाजपा सचमुच कुछ कर िदखाने की स्थिति में आ चुकी है. छह चरणों में होने जा रहे चुनाव के क्रम में राज्य मेें सात िदन वोट डाले जायेंगे.
पहली बार िजन 18 सीटों के िलए वोट डाले गये, वहां कुछ ही सीटों पर भाजपा के कार्यकर्ता अच्छी संख्या में सक्रिय देखे गये. इससे भी स्थिति काफी कुछ साफ झलकती है. अभी जिन इलाकों में मतदान होना है, उनमें से लगभग साठ प्रतिशत सीटों से संबंधित इलाकों में तृणमूल कांग्रेस अौर गंठबंधन के उम्मीदवार की तुलना में भाजपा प्रत्याशी का नाम भी स्थानीय वोटरों को पता नहीं है, क्योंकि बैनर, पोस्टर आैर अन्य प्रकार के इश्तेहार के मामले में भी भाजपा काफी पीछे चल रही है. ऐसे में स्थानीय वाेटरों को मोदीजी का भाषण कितना प्रभावित कर सकेगा, यह तो आने वाला समय ही बतायेगा.
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